Blogखेती /किसानराष्ट्रीय

किसान को कर्ज नहीं, नीतिगत बदलाव चाहिए

किसान को कर्ज नहीं, नीतिगत बदलाव चाहिए जगदीश्वर चतुर्वेदी किसानों की समस्या पर ज्योंही बातें होती हैं तो पूरा समाज…

Blogसाहित्य/पुस्तक समीक्षा

ग्राम्शी : वर्चस्व के ख़िलाफ़ दीर्घकालीन सांस्कृतिक युद्ध का प्रस्ताव

“ग्राम्शी ने क्रांति को केवल सत्ता–हस्तांतरण की घटना नहीं माना, बल्कि उसे एक लंबी सांस्कृतिक प्रक्रिया बताया। यदि पूँजीवाद अपनी…

Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत

ओमसिंह अशफ़ाक की कविता- कविता का जन्म

कविता कविता का जन्म ओमसिंह अशफ़ाक फ़सल सी उगती है कविता झेलती मार पाले और सूखे की बह जाती है…

Blogकविता /कहानी/ नाटक/ संस्मरण / यात्रा वृतांत

बलदेव सिंह महरोक की कविता- भीख

कविता भीख बलदेव सिंह महरोक   सिर्फ द्वार-द्वार जाकर हाथ पसार कर मांगना ही भीख नहीं होता मुफ्त में बांटा…

मीडिया/अखबार/ चैनल /डिजिटलसमाचार

शिअद ने तरनतारन की एसएसपी पर पार्टी नेताओं के खिलाफ ‘झूठी प्राथमिकी’ दर्ज करने का आरोप लगाया

शिअद ने तरनतारन की एसएसपी पर पार्टी नेताओं के खिलाफ ‘झूठी प्राथमिकी’ दर्ज करने का आरोप लगाया चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली…

Blogराष्ट्रीयविरासत

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, सबसे बड़े बलिदानी और वीर बादशाह बहादुर शाह जफर

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, सबसे बड़े बलिदानी और वीर बादशाह बहादुर शाह जफर मुनेश त्यागी भारत के प्रथम स्वतंत्रता…

Blogसमय/समाज

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आजाद हिंद फौज की भूमिका 

इतिहास के झरोखे से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आजाद हिंद फौज की भूमिका :  एक  ऐतिहासिक विश्लेषण डॉ. रामजीलाल 1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो गया. इस युद्ध के समय सुभाष चंद्र बोस तथा अनेक क्रांतिकारियों की यह नीति थी कि ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता’ है. इस युद्ध में एक ओर इंग्लैंड के नेतृत्व में ‘मित्र राष्ट्र’ थे और दूसरी ओर नाजीवादी हिटलर (जर्मनी) व फासीवादी मुसोलिनी (इटली) के नेतृत्व में “धुरी राष्ट्र” थे. सोवियत रूस (वर्तमान रूस) युद्ध में सम्मिलित नहीं था. उस समय तक सोवियत रूस (वर्तमान रूस) युद्ध में सम्मिलित नहीं था. नेताजीसुभाष चंद्र बोस{23जनवरी1897 –18 अगस्त 1945} दो विपरीत विचारधाराओं वाले राष्ट्रों साम्यवादी रूस और नाजीवादी जर्मनी व फासीवादी इटली से सहायता प्राप्त करके भारत से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को समाप्त करके स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ‘सुनहरी अवसर मानते थे. भारत से साम्राज्यवाद के उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नेताजी जनवरी 1941 में पेशावर से होते हुए काबुल, मास्को जाने में सफल हुए. 2 अप्रैल 1941 को हवाई जहाज के द्वारा मास्को से जर्मनी गए तथा हिटलर से मुलाकात की. जर्मनी में उन्होंने फ्री इंडिया लीजन और आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना की. जनवरी 1943 में, जापान ने बोस को पूर्वी एशिया में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को संगठित करके भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया. तीन महीने की जोखिम भरी पनडुब्बी यात्रा के बाद जर्मनी से 13 जून 1943 को जापान जाने में सफलता प्राप्त की. 12 फरवरी 1942 को जापान की सहायता से मनमोहन सिंह के द्वारा आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी—INA) की स्थापना की गई. रास बिहारी बोस ने 4 जुलाई 1943 को नेताजी को आजाद हिन्द फौज की कमान सौंप दी.इसका मार्च गीत- ‘क़दम क़दम बढ़ाएँ जा’ आज भी लोकप्रिय है. 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर में सुभाष चंद्र बोस  ने इंडियन नेशनल आर्मी को सम्बोधित करते हुए “दिल्ली चलो!” का नारा दिया. इंडियन नेशनल आर्मी और जापानी सेना ने मिलकर 21मार्च 1944 को कोहिमा और इम्फ़ाल  पर कब्जा करने में सफलता प्राप्त की. सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को अंतरिम सरकार की स्थापना की जिसको विश्व के नौ देशों–जर्मनी, इटली,जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड  ने मान्यता प्रदान की. जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप  अंतरिम सरकार को दे दिये एवं   30 दिसम्बर 1943 को स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा  दिया गया. सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर एवं  रंगून मेंआजाद हिंद फौज का मुख्यालय स्थापित किया. 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम प्रसारण में नेता सुभाष चंद्र बोस ने जनता से अपील करते हुए कहा ‘यदि हमें आज़ादी चाहिये तो हमें खून के दरिया से गुजरने को तैयार रहना चाहिये’’. महात्मा गांधी…

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सामयिक परिदृश्य के सांप्रदायिकता विरोधी अंक का संपादकीय- अपनी बात

विमल वर्मा ने 90 के दशक में सामयिक परिदृश्य का सामंप्रदायिकता विरोधी अंक निकाला था। यह लेख उस अंक का…

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मंजुल भारद्वाज की कविता- जब ख़्वाब देखता हूं

कविता जब ख़्वाब देखता हूं -मंजुल भारद्वाज हवा में उड़ता हूं पानी पर चलता हूं जब ख़्वाब देखता हूं जड़ता…

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अमृतलाल चोपड़ा – धीर- गंभीर कर्मचारी नेता ही नहीं बेहतरीन हॉकी कोच भी

हरियाणाः जूझते जुझारू लोग- 23 अमृतलाल चोपड़ा – धीर- गंभीर कर्मचारी नेता ही नहीं बेहतरीन हॉकी कोच भी सत्यपाल सिवाच…