बांग्लादेश का दावा, अल्पसंख्यकों पर हमले नहीं हुए, खबरों को ‘बढ़ा चढ़ाकर’ पेश किया गया

बीजीबी के प्रमुख सिद्दीकी ने कहा, बीएसएफ प्रमुख दलजीत चौधरी की अगुवाई वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडलसे साझा विषयों पर हुई चर्चा

नयी दिल्ली। बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों को ‘‘बढ़ा चढ़ाकर’’ पेश किया गया।

बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने कहा कि यहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुख दलजीत सिंह चौधरी की अगुवाई वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान साझा विषयों के तहत ‘‘कई नए मुद्दों’’ पर चर्चा की गई।

चौधरी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिद्दीकी ने कहा कि उनके देश के प्राधिकारियों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए। उन्होंने उदाहरण दिया कि उनकी सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने अधिकार क्षेत्र के आठ किलोमीटर के दायरे में दुर्गा पूजा पंडालों को ‘‘व्यक्तिगत रूप से’’ सुरक्षा प्रदान की है।

पिछले वर्ष अगस्त में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों सेनाओं की यह पहली उच्च स्तरीय बैठक थी।

बीजीबी महानिदेशक ने यह भी कहा कि उन्होंने महानिदेशक स्तर की द्विवार्षिक वार्ता के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा के 150 गज के क्षेत्र में भारत द्वारा की जा रही बाड़बंदी के संबंध में आपत्तियों के साथ कई मामलों को उठाया तथा कार्य शुरू होने से पहले संयुक्त निरीक्षण का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के बारे में मैं कहूंगा कि इसे काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया और ईमानदारी से कहूं तो अल्पसंख्यकों पर ऐसे हमले नहीं हुए।’’

बीजीबी प्रमुख ने कहा, ‘‘इसका प्रमाण हाल में आयोजित दुर्गा पूजा है, जो सबसे शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित और व्यवस्थित हिंदू त्योहारों में से एक था। बांग्लादेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सरकार से बहुत सख्त हिदायत मिली थी ताकि हिंदू समुदाय इसे…(अनुष्ठान को) कर सके।’’

उन्होंने कहा कि उन्हें ‘‘(अल्पसंख्यक समुदाय से) कई अनुरोध प्राप्त हुए, अक्सर ये अनुरोध बिना किसी भय या धमकी के किए जाते थे और यहां तक कि जब कोई ठोस बात (अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकी के संबंध में) नहीं होती तब भी हमने सुरक्षा प्रदान की।’’

सिद्दीकी ने कहा कि ऐसी खबरें मीडिया में अधिक आती हैं, जिसके बाद नेता टिप्पणी करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त (2024 में हसीना सरकार का पतन) के बाद शुरुआती कुछ महीनों के दौरान ऐसी घटनाएं हुई थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने “भारतीय नागरिकों और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” के लिए एडीजी बीएसएफ (पूर्वी कमान) के अधीन एक समिति गठित की थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों पक्षों की ओर से एजेंडा बिंदुओं में कोई बदलाव हुआ है, इस पर बीजीबी महानिदेशक ने कहा कि ‘‘मोटे तौर पर विषय समान हो सकते हैं, लेकिन आंतरिक पाठ, संदर्भगत अंतर… (में बदलाव हुए हैं) और सामान्य मदों के तहत कई नए मुद्दे हैं…’’।

बीएसएफ प्रमुख ने कहा कि एजेंडा बिंदु ‘‘थोड़े बहुत बदलाव के साथ समान थे’’ क्योंकि भारत-बांग्लादेश सीमा एक बहुत ही ‘‘गतिशील और सक्रिय’’ सीमा है।

बीएसएफ महानिदेशक ने कहा कि भारतीय पक्ष ने बैठक के दौरान बीजीबी से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि सीमा पूरी तरह सुरक्षित रहे और सीमा पर कोई घुसपैठ न हो, ताकि बांग्लादेशी अपराधियों द्वारा बीएसएफ कर्मियों और स्थानीय भारतीयों पर हमला करने की घटनाएं न हों।

चौधरी ने कहा, “बांग्लादेशी बदमाशों द्वारा बीएसएफ और नागरिकों पर हमलों के मुद्दे को उठाया गया…भारत सरकार एक गैर-घातक रणनीति (सीमा पर पहले गैर-घातक हथियारों का उपयोग) का पालन करती है…कभी-कभी रात के अंधेरे का फायदा उठाकर और बाड़ को तोड़कर कुछ बदमाश हमारे क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते हैं और बीएसएफ कर्मियों पर हावी होने या उन पर काबू पाने का प्रयास करते हैं…।”

बीएसएफ मुख्यालय में बृहस्पतिवार को संपन्न हुई तीन दिवसीय वार्ता के दौरान बाड़ लगाने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के बारे में बीजीबी महानिदेशक ने कहा कि उन्होंने ‘‘संभावित मामलों की संख्या पर प्रकाश डाला है’’, जहां अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट विकास कार्यों का निर्माण किया जा रहा है और यह नवीनतम वार्ता के दौरान ‘‘सबसे अधिक फोकस’’ वाला एजेंडा था।

उन्होंने कहा कि शून्य रेखा के दोनों ओर 150 गज की दूरी को ‘‘नो मैन्स लैंड’’ माना जाता है और दोनों पक्षों को दूसरे पक्ष की सहमति के बिना कोई भी स्थायी ढांचा या ‘‘रक्षा क्षमता’’ वाला ढांचा बनाने की अनुमति नहीं है।

सिद्दीकी ने कहा, “संवादहीनता तब उत्पन्न होती है जब 150 गज के दायरे में बाड़ लगाना जरूरी होता है… 150 गज से परे हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाड़ कितनी लंबी, कितनी मजबूत या कितनी ऊंची है।”

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने उन मुद्दों पर ‘‘आपत्ति जताई’’ जहां उसका मानना है कि आपसी सहमति अभी नहीं बनी है या इसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

उन्होंने और बीएसएफ महानिदेशक ने कहा कि उन्हें ‘‘भविष्य में इन मुद्दों को सुलझाने की उम्मीद है’’ तथा बीजीबी महानिदेशक ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा।

बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर दोनों प्रमुखों ने कहा कि पिछले वर्ष पांच अगस्त के बाद 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी घटनाओं में कमी आई है।

चौधरी ने कहा, ‘‘घुसपैठ में काफी कमी आई है और यह बीजीबी की सक्रिय मदद से संभव हुआ है। पूरे संकट (पिछली सरकार के पतन) के दौरान बीजीबी हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही और सीमा पर शांति बनाए रखने में हमारी मदद की।’’

सिद्दीकी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के 150 गज के भीतर स्थायी निर्माण कार्य किए जाने की खबर, जिसे बीजीबी ने या तो किया है या इसमें उसकी मदद की है, तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों की ओर से कुछ विकास कार्य हो रहे हैं और दोनों पक्षों की सहमति ली गई है, लेकिन कभी-कभी कुछ संवादहीनता के कारण अगर दोनों में से किसी भी सेना को जानकारी नहीं दी जाती है, तो दूसरी सेना द्वारा आपत्ति उठाई जाती है… हम इन मुद्दों को पारस्परिक रूप से सुलझाने का प्रयास करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि हर कोई 150 गज की दूरी को “मुक्त” रखना चाहता है, जो दोनों देशों के बीच मूल समझौता है।

सिद्दीकी ने यह भी कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा संधि को फिर से तैयार करने पर कोई चर्चा नहीं हुई, जिस पर 1975 में सहमति बनी थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बैठक के दायरे में नहीं था।’’

बीजीबी प्रमुख ने कहा कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में तीस्ता नदी में अचानक पानी छोड़े जाने पर भी “सामान्य चर्चा” की और पूर्व सूचना मांगी ताकि उनके पक्ष के लोग स्थिति का ध्यान रख सकें।

यह भारत और बांग्लादेश के बीच उनके संबंधित सीमा सुरक्षा बलों – बीएसएफ और बीजीबी द्वारा आयोजित द्विवार्षिक डीजी-स्तरीय सीमा वार्ता का 55वां संस्करण था।

पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहली शीर्ष स्तरीय बैठक थी।

बीएसएफ 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा की रक्षा करता है जो पांच राज्यों – पश्चिम बंगाल (2,217 किलोमीटर), त्रिपुरा (856 किलोमीटर), मेघालय (443 किलोमीटर), असम (262 किलोमीटर) और मिजोरम (318 किलोमीटर) से होकर गुजरती है।

इन द्विवार्षिक वार्ताओं का पिछला संस्करण पिछले साल मार्च में ढाका में आयोजित किया गया था।