अमेरिका को नहीं भाया रूस से सैन्य उपकरण खरीदना और ब्रिक्स के साथ खड़े होना
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने स्वीकारा, कहा-भारत ने कुछ ऐसी चीजें कीं जिसने असहज किया
वाशिंगटन। अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत के साथ ‘असहजता’ के लिए रूस से सैन्य उपकरण खरीदने और डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए ब्रिक्स के साथ खड़े होने जैसी कुछ घटनाओं का जिक्र करने के साथ ही कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की बहुत प्रशंसा करते हैं और दोनों देशों के ‘एक साथ बहुत अच्छे संबंध’ बनने जा रहे हैं।
लुटनिक ने सोमवार को यहां ‘अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी मंच’ के आठवें नेतृत्व शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए दोनों देशों के संबंधों पर यह टिप्पणी की।
लुटनिक ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था असाधारण है, आपकी मानव पूंजी क्षमता अद्भुत है, आपकी वृद्धि दर भी अद्भुत है। लेकिन आप जानते हैं, कुछ ऐसे काम थे जो भारत सरकार ने किए, जिससे आम तौर पर अमेरिका असहज हुआ।’’
अमेरिकी मंत्री ने इसे उदाहरण के साथ स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘आप आम तौर पर अपने सैन्य उपकरण रूस से खरीदते हैं। गर आप रूस से अपने हथियार खरीदने जाते हैं तो यह अमेरिका की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का एक तरीका है। मुझे लगता है कि भारत, अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसे अभी लंबा सफर तय करना है।’’
लुटनिक ने भारत के ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का हिस्सा होने का भी उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘इसका मतलब डॉलर और डॉलर के आधिपत्य का समर्थन नहीं करने से हैं। (लेकिन) यह असल में अमेरिका में दोस्त बनाने और लोगों को प्रभावित करने का तरीका नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने इस मुद्दे को स्पष्ट और विशेष रूप से उठाया है और भारत सरकार इस दिशा में काम कर रही है। आप वास्तव में सकारात्मक स्थिति में इसी तरह आगे बढ़ते हैं। बात को सामने रखें, इस पर खुलकर बात करें, उसका हल निकालें और एक बढ़िया स्थिति में पहुंचें।’’
इस कार्यक्रम में लुटनिक ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के बहुत दूर नहीं रहने की उम्मीद की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘…मुझे लगता है कि हम एक ऐसी जगह पहुंच चुके हैं जो वास्तव में दोनों देशों के लिए काम करती है।’’
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भारत के उच्च शुल्क लगाने पर राष्ट्रपति ट्रंप के रुख का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत शुल्क के मामले में बहुत संरक्षणवादी है।
उन्होंने कहा कि इन चीजों पर गौर करने और उन्हें तर्कसंगत एवं उपयुक्त स्तर पर लाने का विचार पूरी तरह से विचाराधीन है और यह तनावपूर्ण नहीं है।