हरियाणा, पंजाब के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता खराब हुई

हरियाणा, पंजाब के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता खराब हुई

चंडीगढ़/ नई दिल्ली। हरियाणा में मंगलवार को वायु गुणवत्ता खराब हो गई तथा गुरुग्राम सहित कई क्षेत्रों में गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) “बहुत खराब” श्रेणी में पहुंच गया, जबकि पड़ोसी पंजाब के अधिकांश हिस्सों में यह “खराब” श्रेणी में रहा।

प्रतिदिन शाम 4 बजे जारी होने वाले 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के अनुसार, जींद में एक्यूआई 421 और रेवाड़ी के धारूहेड़ा में 412 (दोनों ही गंभीर श्रेणी में) दर्ज किया गया।

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, 401 से 450 के ‘गंभीर’ और 450 से अधिक ‘बेहद गंभीर’ माना जाता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, नारनौल में एक्यूआई 390, रोहतक में 376, गुरुग्राम में 370, बहादुरगढ़ में 368, सिरसा में 353, मानेसर में 320 दर्ज किया गया, जबकि चरखी दादरी में एक्यूआई 353 दर्ज किया गया।

हरियाणा के कई अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता खराब रही। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 268, अंबाला में 234, बल्लभगढ़ में 297, फतेहाबाद में 266, कैथल में 273, करनाल में 266, कुरुक्षेत्र में 230, पानीपत में 216, सोनीपत में 287 दर्ज किया गया, जबकि यमुनानगर में यह 287 रहा।

पंजाब में, 24 घंटे के औसत एक्यूआई के अनुसार, यह अमृतसर में 224, जालंधर में 247, लुधियाना में 271 और पटियाला में 206 दर्ज किया गया।

दोनों राज्यों की साझा राजधानी चंडीगढ़ में एक्यूआई 147 (मध्यम) दर्ज किया गया।

दिल्ली में पिछले कुछ साल में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा

उधर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई और सूक्ष्म प्रदूषक कणों (पीएम 2.5) का स्तर पिछले पांच वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

दिवाली के बाद के 24 घंटों में पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई, जो त्योहार से पहले के स्तर 156.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना से भी ज़्यादा है।

साल 2021 से 2025 की अवधि के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि दिवाली की रात और अगली सुबह के दौरान पीएम 2.5 का मान लगातार बढ़ता रहा, और दिवाली के बाद 2025 में 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का स्तर 2021 के बाद से सबसे प्रदूषण वाला रहा।

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्षों में, औसत पीएम 2.5 का स्तर 2021 में 163.1 से बढ़कर 454.5, 2022 में 129.3 से बढ़कर 168, 2023 में 92.9 से बढ़कर 319.7 और 2024 में 204 से बढ़कर 220 हो गया।

शोध और सलाहकार समूह ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ द्वारा किए गए अध्ययन में इस वृद्धि के लिए मुख्य रूप से पटाखों से होने वाले स्थानीय उत्सर्जन, एक मीटर प्रति सेकंड से कम की स्थिर हवाओं और तापमान में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में प्रोफेसर एस के ढाका ने बताया कि पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय पटाखों के उत्सर्जन के कारण है। हवा की गति बेहद कम थी, जिससे फैलाव की कोई गुंजाइश नहीं थी।

उन्होंने कहा कि ‘तथाकथित’ हरित पटाखों ने भी कण निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी गुणवत्ता और संरचना की जांच करने की आवश्यकता है।

‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की संस्थापक और निदेशक आरती खोसला ने कहा, ‘‘ यह निराशाजनक है कि वर्षों तक पटाखे फोड़ने के हानिकारक प्रभावों को देखने के बाद भी, हम वही गलती दोहराते हैं।’’

‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की शोध प्रमुख पलक बाल्यान ने कहा कि इस साल की दिवाली हाल के वर्षों में सबसे प्रदूषित दिवाली रही।

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