एडीआर के सह-संस्थापक जगदीप छोकर का निधन
नयी दिल्ली। चुनाव से संबंधित विश्लेषण करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सह-संस्थापक और लंबे समय से स्वच्छ चुनावों के पैरोकार रहे जगदीप एस छोकर का शुक्रवार को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एडीआर सूत्रों ने यह जानकारी दी। वह 80 वर्ष के थे।
भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद के सेवानिवृत्त प्रोफेसर छोकर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 1999 में एडीआर की स्थापना की थी।
पिछले दो दशकों में, इस संस्था ने कई ऐतिहासिक न्यायिक हस्तक्षेप में भूमिका निभाई है जिससे भारतीय राजनीति में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। इनमें 2002 का उच्चतम न्यायालय का फैसला शामिल है, जिसमें उम्मीदवारों के लिए अपने आपराधिक मामलों, संपत्तियों और शैक्षणिक योग्यताओं का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया गया था। इसमें 2024 में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने का फैसला भी शामिल है।
25 नवंबर, 1944 को जन्मे छोकर ने शिक्षा जगत में आने से पहले भारतीय रेलवे में अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के एफएमएस से एमबीए किया और बाद में अमेरिका की लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
वह 1985 में आईआईएम-अहमदाबाद से जुड़े और 2006 में अपनी सेवानिवृत्ति तक संगठनात्मक व्यवहार के क्षेत्र में अध्यापन करते रहे। छोकर ने आईआईएम-अहमदाबाद में अपने कार्यकाल के दौरान डीन और प्रभारी निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
उनके निधन पर राजनीतिक और सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक लोगों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रोफेसर जगदीप छोकर का निधन दुखद है। उन्होंने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का नेतृत्व किया, जिसने चुनावी लोकतंत्र के उच्च मानकों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके और एडीआर जैसे लोग प्राधिकारों से सवाल पूछने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो किसी भी लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है।’’
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा, ‘‘यह जानकर अत्यंत दुख हुआ कि एडीआर के संस्थापक प्रोफेसर जगदीप छोकर का आज सुबह निधन हो गया। स्वच्छ चुनाव और चुनावी सुधारों के लिए संघर्षरत छोकर ने अपना शरीर चिकित्सा अनुसंधान के लिए दान कर दिया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।’’
राजद सांसद मनोज कुमार झा ने छोकर के निधन को ‘‘भारत के लोकतंत्र की अखंडता के लिए निरंतर बोलने वाली अंतरात्मा का मौन होना’’ बताया।
झा ने कहा, ‘‘उनके जाने से एक शून्य पैदा हो गया है और एक विरासत छूट गई है – एक अधूरा काम जो अब लोकतंत्र की परवाह करने वाले सभी लोगों का है।’’
कार्यकर्ता और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने छोकर को ‘लोकतंत्र और जनहित का सच्चा निस्वार्थ पैरोकार’ बताया, जबकि वकील प्रशांत भूषण ने उनके निधन को ‘देश में लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका’ बताया।
तृणमूल कांग्रेस सांसद सागरिका घोष ने छोकर को ‘‘लोकतंत्र के लिए एक अथक और साहसी योद्धा’’ बताया, जबकि कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने उन्हें ‘‘लोकतंत्र के हमारे सबसे बड़े रक्षकों में से एक’’ कहा।
कम्युनिस्ट नेता सुभाषिनी अली, कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और शबनम हाशमी सहित कई अन्य लोगों ने भी छोकर के निधन पर शोक व्यक्त किया और पारदर्शिता, जवाबदेही तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी आजीवन प्रतिबद्धता की सराहना की।