एक अच्छी कहानी
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Ryan यानी रायन को आप शायद नहीं जानते। मैं चाहता हूं कि आप जानें। आप जानें और अपनी संतान को रायन जैसा बनाएं। रायन जैसा बनना neet, jee, cat और सिविल सर्विस एग्जाम्स क्रैक करने से भी बेहतर है। आसान भी। संतान को रायन जैसा बनाएंगे तो आपको पुण्य यानी सवाब भी मिलेगा। और यह धरती खुशहाल होगी।
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कनाडा, मई 1991 में पैदा हुआ रायन जब छह साल का था तो एक दिन स्कूल में उसकी टीचर ने अफ्रीकी देशों की गरीबी और बदहाली के बारे में बताया। टीचर ने बताया कि पीने के पानी की वहां ख़ास दिक्कत है। कई बार वहां के बच्चे प्यास के कारण या गंदा पानी पीकर मर भी जाते हैं।
रायन को बड़ा दुख हुआ और आश्चर्य भी। पानी नहीं होता! यह कैसे?
“लेकिन, टीचर मैं तो नल खोलता हूं और पी लेता हूं। घर में भी। और स्कूल में भी। खेल के मैदान में भी…क्या वहां नल नहीं होते टीचर?”
रायन की मासूम जिज्ञासा को शांत करते हुए टीचर ने उसे अफ्रीकी देशों के हालात के बारे में समझाया। सरल भाषा में गरीबी का अर्थ समझाया।
कोमल हृदय रायन का अब नया सवाल था, ” मैडम, वहां पानी पहुंचाने में कितना खर्च आएगा?”
इस सवाल के लिए टीचर भी तैयार नहीं थीं। लेकिन वे बच्चे को निराश नहीं करना चाहती थीं। बोलीं, कल बताऊंगी।
घर जाकर टीचर ने रिसर्च की और सुबह स्कूल में उन्होंने रायन को बता दिया कि एक संस्था है WaterCan, वह गरीब देशों में कुएं बनवाता है। लेकिन इसके लिए वह 70 डॉलर चार्ज करता है।
70 डॉलर वॉटरकैन…70 डॉलर वॉटरकैन…70.. रायन यही दो बातें रटता घर पहुंचा। और मां सुज़न से मिलते ही बोला, “ममा, मुझे 70 डॉलर चाहिए…दे दोगी न?”
क्यों?
रायन की बात सुनकर मां प्रसन्न हो उठीं। वे चाहतीं तो तुरंत रकम दे सकती थीं। लेकिन वे अपने बच्चे को श्रम का महत्व भी समझाना चाहती थीं। सो वे बोलीं, “पैसे तो दे दूंगी, लेकिन यह रकम तुम्हें कमानी पड़ेगी।”
“कैसे मॉम?”
“मैं तुम्हे घर के काम बताऊंगी। हर काम करने के लिए मेहनताना दूंगी। किसी काम के लिए एक सेंट तो किसी के लिए चार। ओके?”
उस दिन से रायन घर के काम करके पैसा जोड़ने लगा। और कुछ हफ्तों बाद मां ने उसे उसकी कमाई के 70 डॉलर दे दिए। रकम लेकर वह सीधे WaterCan के ऑफिस जा पहुंचा।
लेकिन, रायन को निराशा हाथ लगी। WaterCan ने बताया कि कुआं खोदने की वास्तविक लागत 2000 डॉलर होती है। शायद उसे गलत जानकारी मिली थी। “कोई बात नहीं” रायन ने वॉटरकैन वालों से कहा, “मैं 2000 डॉलर जोड़कर फिर आऊंगा।”
दो हज़ार डॉलर बड़ी रकम थी। मां ने इनकार कर दिया।
“कोई बात नहीं मॉम!” रायन ने अपनी मां से भी यही कहा और लक्ष्य पाने में जुट गया। अब वह मुहल्ले में पड़ोसियों के घरेलू काम करने लगा। धीरेधीरे रायन और उसका लक्ष्य पूरे मुहल्ले में मशहूर हो गया। मां ने उसके भाइयों को भी नेक उद्देश्य में लगा दिया। कुछ साथी रायन के साथ जुड़ गए।
बूंद बूंद कर डॉलर जुड़ते गए। लगभग दो साल लगे और बच्चों ने 2000 डॉलर इकट्ठे कर लिए। और जनवरी 1999 में रायन की रकम से उत्तरी युगांडा के एक गांव में साफ पानी का कुआं बन गया।
रायन अपने स्कूल में, मुहल्ले में सेलिब्रिटी बन चुका था। मां का तो वह आंखों का तारा था ही। उसी ने तो रायन को प्यार, करुणा और मानवता की घुट्टी पिला कर बड़ा किया था।
इस कुएं के कारण रायन का युगांडा की उस बस्ती के स्कूल से भी रिश्ता जुड़ गया जहां पहले पानी की किल्लत रहती थी। एक दिन रायन ने युगांडा जाने की इच्छा जताई जो उसकी मां ने पूरी कर दी। बताते हैं कि जब रायन अपने कुएं को देखने पहुंचा तो उसके स्वागत में सैकड़ों लोग खड़े थे। और बच्चे रायन रायन रायन कहकर उसका स्वागत कर रहे थे। रायन को यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि सब लोग उसका नाम जानते थे। Ryan, जिसका माने होता है नन्हा राजा। क्यों, राजा को ऐसा ही होना चाहिए न?
रायन अब 34 साल का हो चुका है। उसने अच्छे काम करने के लिए एक फाउंडेशन की स्थापना कर रखी है। वह अब तक अफ्रीका में 500 से ज्यादा कुएं बनवा चुका है।
प्रस्तुतकर्ता – अजय शुक्ल