मंंजुल भारद्वाज की कविता – अंत तो मौत है!

कविता

  अंत तो मौत है!

मंजुल भारद्वाज

 

अंत तो मौत है

आओ जी कर देखते हैं !

माना उसके पास

सत्ता है,व्यवस्था है

उसका हारना कठिन हो

पर, आओ ललकार कर देखते हैं !

शरीर भोग है

जलकर मिलेगा ख़ाक में

आओ चेतना की चिंगारी से

दुनिया में उजाला करते हैं!

 

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