बाजार, साम्यवाद, खुश लोग और हनोई 

यात्रा संस्मरण

बाजार, साम्यवाद, खुश लोग और हनोई

संजय श्रीवास्तव

हनोई सुबह जल्दी जागता है. 8 बजे तक दुकानें खुलने लगती हैं. इस शहर की जान है ओल्ड क्वार्टर, जो देर रात तक जागता है. कम से कम एक बजे रात तक हो पक्का ही. ओल्ड क्वार्टर की कुछ स्ट्रीट पर रात 8-9 बजे से नाइट स्ट्रीट मार्केट लगना शुरू होता है. कपड़ों से लेकर सबकुछ होता है इसमें. फुटपाथ पर एक ही जगह उत्तर कोरिया के तानाशाह किम उल जुंग और अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के हो ची मिन्ह की तस्वीरों वाली की शर्ट बिकती मिल जाएंगी .ओल्ड क्वार्टर इस पूरे शहर की सबसे ग्लैमरस जगह है. शहर की सारी गतिविधियां आसपास ही सिमटी लगती हैं. पास में एक बहुत बड़ी सी लेक है. अगर चारों ओर इसका चक्कर लगाएं तो तीन किलोमीटर तो होगा ही. इस समय यहां मौसम तीखा है, यानि धूप उमस को बढ़ाने वाली. मुश्किल से एक हफ्ते पहले यहां ऐसी भीषण बारिश हुई कि शहर करीब करीब उसमें डूब सा गया.

मुझको दो लोगों ने इसके लिए करीब खबरदार ही किया, शुक्रवार यानि 11 अक्टूबर की रात, जब हम दिल्ली इंटरनेशनल एय़रपोर्ट पर हनोई के लिए फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे. आंग इंटीरियर डिजाइनर हैं. वह भारत में बौद्ध सर्किट में घूमने आईं थीं. मिलनसार. हंसमुख. उनसे बहुत बात हुई. उन्होंने सबसे पहले आगाह किया कि क्या हनोई के मौसम के बारे में आपने पता कर लिया है. मैने कहा -हां, चार दिन पहले वहां बहुत बारिश हुई थी. अब ठीक है. उन्होंने सिर हिलाया. तब ठीक है.

इसके बाद हमारा विटजेट का विमान हो ची मिन्ह पर उतरा . वहां से हमें चार घंटे बाद हनोई के लिए फ्लाइट लेनी थी. इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते ही एमिग्रेशन की लंबी लाइनें लगी थीं. मिलिट्री की पोशाक पहने लोग अलग अलग काउंटर पर बैठे थे. वो पासपोर्ट, हवाई टिकट और वीसा चेक कर रहे थे. काम फटाफट हुआ. तब लगेज लाउंड में सामान लेने पहुंचे तो वो वहां पहले से रखा था. ये हवाई अड्डा उनता भव्य और सुविधासंपन्न नहीं है, जितने अपने देश के इंटरनेशनल एयरपोर्ट.

डोमेस्टिक टर्मिनल वहां से वाकिंग दूरी पर है. हां एयरपोर्ट पर फटाफट सिम देने वाले और रुपए को एक्सचेंज करने वाले ठीक ठाक थे. यहां खाने में वेज और वीगन वालों को बहुत समस्या आती है. लेकिन अगर आप समझ लीजिए तो ये दूर हो जाती है. यहां भाषा भी एक समस्या है, क्योंकि लोगों को टूटी फुटी अंग्रेजी भी कम आती है. लेकिन वो समस्या हाव-भाव और संकेतों से दूर हो जाती है. वैसे मतलब ये है कि मानव नाम का प्राणी ऐसा होता है जो दुनियाभर में कहीं भी चला जाए तो अपने कॉमन सेंस से सारा काम चला ही सकता है.

हालांकि मैं भारत से ही डॉलर और वियतनामी मुद्रा डांग लेकर आया था लेकिन तब भी हो ची मिन्ह एयरपोर्ट पर कुछ डॉलर को डांग में बदला. डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर बहुत भीड़ थी लेकिन फटाफट काम हो रहा था. सेक्युरिटी चेक तो बहुत जल्दी हुआ. जो बात सबसे ही नजर आई कि वियतनाम में लड़कियों औऱ औरतों ने ज्यादा काम संभाल रखे हैं. वो काउंटर से लेकर दुकानों पर नजर आती हैं. यहां की लड़कियां और महिलाएं सुंदर होती हैं, चमकदार त्वचा वाली. आमतौर पर स्लिम और सामान्य कदकाठी वाली.

हो ची मिन्ह से जो फ्लाइट हनोई के लिए मिली, उसमें मेरी मिडल सीट थी. वाइफ, बेटे सबसे अलग सीट मिली. कुछ मिनट में एक युवा आस्ट्रेलियाई महिला अपनी दो साल की खूबसूरत बेटी के साथ आई. कैन यू प्लीज टेक माई विंडो सीट, गिव मी मिडल सीट. व्हाई नाट कहते हुए मैने तुरंत विंडो सीट संभाली. उसने अपनी बिटिया को मिडल सीट पर लिटाया. थोड़ी देर बाद अचानक मुखातिब हुई- क्या हनोई में मौसम ठीक होगा. ये सवाल उसने मुझसे जानकारी पाने के लिए किया था या ये भरोसा पाने के लिए सबकुछ ठीक ही होगा. मेरा जवाब था, मैने अगले दस दिनों के फोरकास्ट देखे हैं, मुझको लगता है कि चीजें सुधर रही हैं. थोड़ी में उससे बातें होने लगीं. वह आस्ट्रेलिया में फाइनेंशर थी. पिछली सीट पर उसके पति बड़ी बेटी के साथ बैठे थे.

हो ची मिन्ह एय़रपोर्ट पर बारिश हुो रही थी. लेकिन विमान जब हनोई में उतरा तो बदलियां छाई हुईं थीं. दिल धक से रह गया कि क्या होगा. टैक्सी मिली. उसको ना अंग्रेजी आती थी. ना अपन को वियतनामी. बस बात केवल पैसे की हुई. मैने होटल की लोकेशन दिखा दी. फिर रास्ते भर उससे एक ही बात हुई कि एसी तेज कर दो. उसके लिए भी एसी बटन की ओर हाथ करके समझाना पड़ा.

हनोई बहुत साफ सुथरा और बहुत प्यारा शहर है. इस शहर की रंगत तेजी से बदल रही है. यहां सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, ब्रांड, लग्जरी और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की छाप हर ओर नजर आती है. एकदलीय कम्युनिस्ट पार्टी का शासन होने के बाद लोग मस्त और खुश नजर आते हैं. ये बाजारवाद से गलबहियां करके बढ़ता हुआ साम्यवाद है, जैसा चीन से लेकर हर कम्युनिस्ट देश में हो रहा है.

मैं जिस दिन पहुंचा उस दिन 11 अक्टूबर था. 10 अक्टूबर को हनोई ने अपने आजादी का जश्न मनाया. उसमें पूरे शहर में जश्न हुए. जगह जगह वियतनाम को लाल रंग में सफेद स्टार का झंडा औऱ कागज की पताकाएं हर ओर फहरा रही थीं. हमारा होटल हनाई के ओल्ड क्वार्टर में था. चूंकि कुछ रास्ते बंद थे और होटल के करीब बनी लेक के पास लिबरेशन डे से जुड़ फंक्शन चल रहे थे, लिहाजा कुछ सड़कें बंद हो गईं थी. कार वाले ने हमें यथासंभव होटल के काफी करीब तक छोड़, जहां से हमें मुश्किल से 100 मीटर जाना था.

वियतनाम में लेफ्ट हेंड ड्राइव है लिहाजा सड़कों पर जाने वाला ट्रैफिक लेफ्ट की ओर चलता है और लौटने वाला राइट से. यही फारमेट वहां मंदिर या हर जगह जाने आने में भी है. हर जगह वियतनाम के झंडे लगे नजर आ जाएंगे तो वियतनाम के राष्टपिता समझे जाने वाले हो ची मिन्ह की तस्वीरें भी. उन्होंने अपने देश को फ्रांस से आजाद कराया था. जगह जगह कम्युनिस्ट से जुड़े प्रतीक सार्वजनिक जगहों पर प्रतिमा की तरह बने हुए हैं.

सड़कें यहां बहुत शानदार हैं, जो बताती हैं कि वियतनाम तेजी से समृद्धि और तरक्की की छलांग लगा रहा है. एक्सप्रेस और भी उम्दा. बीच बीच में भारत की तरह के मिड-वे हैं, जहां खाने-पीने और टायलेट की साफसुथरी व्यवस्था है. एक बात वहां हर जगह नजर आती है. वैसे भी यहां की पर कैपिटा इनकम भारत से काफी ज्यादा है. हर जगह एक सिस्टम बखूबी नजर आता है. यहां और भारत के समय में डेढ घंटे आगे है.

यहां का मौसम जब से आया हूं तब से पल में तोला और पल में माशा वाला देख रहा हूं. आज यहां तीसरा दिन है. अभी थोड़ी देर पहले जब शहर की कई किलोमीटर की चहलकदमी करके लौटा तो तीखी पसीना निकालने वाली धूप थी. कमरे में घुसने के कुछ देर बाद ही कुछ काले बादल आसमान पर दीखने वाले और बारिश शुरू हो गई. आधे घंटे बाद बारिश रूक गई. वैसे यहां प्रदूषण नहीं दिखता. हवा की क्वालिटी का स्तर बढ़िया है.

चलते चलते बात यहां के खाने की, सड़कों पर स्ट्रीट फूड और रेस्टोरेंट देखकर लगता है कि यहां खूब हर तरह का नानवेज खाया जाता है, बीयर पी जाती है. लेकिन फल भी खूब खाए जाते हैं. सुबह लोग लेक के चारों ओर खूब दौड़ते हैं.

लिहाजा मुझको पहले दिन यहां ऐसा लगा कि गलत जगह तो आकर नहीं फंस गए लेकिन धीरे धीरे खाने वाला मामला सेट हो रहा है. कुछ भारतीय रेस्टोरेंट मिल गए. कुछ और ऐसे रेस्टोरेंट तो बढ़िया वेज परोसते हैं. यहां कॉफी के आउटलेट बहुत हैं. भारत की हिट चाय देखने को नहीं मिलती. भारत में विनफास्ट की जो कारें इंट्रोड्यूश हो रही हैं, वो वियतनामी कंपनी की हैं. जो यहां टोयोटो, हुंदई के साख खूब देखने को मिलती हैं. मोटे तौर पर कुछ इंडियन रेस्टोरेंट्स को छोड़ दें तो वहां का कुछ यहां नहीं दिखता । सिवाय बौद्ध धर्म के। जारी …

संजय श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार 

लेखक – संजय श्रीवास्तव