बिहार विधानसभा चुनाव: मोकामा का महा-मुकाबला!

बिहार विधानसभा चुनाव: मोकामा का महा-मुकाबला

विजय शंकर पांडेय

मोकामा सीट का चुनाव तो अब “लोकतंत्र का कुश्ती अखाड़ा” बन गया है — बस फर्क इतना है कि रिंग में पहलवान नहीं, बाहुबली उतर सकते हैं। 25 साल बाद जनता फिर तैयार है यह तय करने कि किसकी राइफल ज़्यादा लोकतांत्रिक है!

एक तरफ अनंत सिंह — जो जेल से भी जनता के दिलों पर राज कर लेते हैं, जैसे Netflix पर कोई सस्पेंस थ्रिलर चल रही हो। दूसरी तरफ सूरजभान सिंह का परिवार — जो वोटरों को यह समझाने में लगा है कि “हम सुधर गए हैं, अब सिर्फ लोकतांत्रिक अंदाज़ में गोली चलाते हैं!”

मोकामा की गलियों में पोस्टर लग रहे हैं — “वोट दो विकास को, बाकी ठोक दो विश्वास को!”

मतदाता असमंजस में हैं — कौन ज़्यादा “स्थायी शांति” दिलाएगा?

चुनाव आयोग भी सोच में है — सुरक्षा बल भेजें या बुलेटप्रूफ ईवीएम?
मीडिया वालों ने हेडलाइन तय कर ली है — “मोकामा में नहीं, मोकाम में है मुकाबला!”

लोकतंत्र हंस रहा है —
“जहाँ जनता डर के वोट डालती है, वहाँ चुनाव नहीं, तमाशा होता है।”

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