काशी और मथुरा में आंदोलनों का समर्थन नहीं करेगा संघ, स्वयंसेवक भाग ले सकते हैं: भागवत

काशी और मथुरा में आंदोलनों का समर्थन नहीं करेगा संघ, स्वयंसेवक भाग ले सकते हैं: भागवत

हम फैसला नहीं करते, अगर करते तो क्या भाजपाध्यक्ष चुनने में इतना समय लगता भागवत

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन था जिसका संघ ने समर्थन किया था और वह काशी और मथुरा सहित ऐसे किसी अन्य अभियान का समर्थन नहीं करेगा, लेकिन आरएसएस के स्वयंसेवक ऐसे आंदोलनों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं।

यहां विज्ञान भवन में अपनी तीन दिवसीय व्याख्यान शृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब में, उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन रहा जिसका आरएसएस ने समर्थन किया है, वह किसी अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा, लेकिन हमारे स्वयंसेवक इसमें शामिल हो सकते हैं। काशी-मथुरा में आंदोलनों का संघ समर्थन नहीं करेगा, लेकिन स्वयंसेवक इसमें भाग ले सकते हैं।’’

यह व्याख्यान शृंखला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी।

मोहन भागवत ने इस आम धारणा को ‘‘पूरी तरह गलत’’ बताते हुए खारिज कर दिया कि उनका संगठन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ‘‘सब कुछ’’ तय करता है। उन्होंने कहा कि सुझाव पार्टी को दिए जाते हैं, लेकिन फैसले पार्टी लेती है।

भागवत ने यह भी कहा कि भाजपा के नए प्रमुख के चयन में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है।

सवालों के जवाब में भागवत ने कहा कि आरएसएस और भाजपा नीत सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है, चाहे वह केंद्र में हो या पार्टी द्वारा शासित राज्यों में।

क्या संघ भाजपा के लिए हर चीज तय करता है, यहां तक कि अध्यक्ष का चयन भी, इस सवाल पर आरएसएस प्रमुख ने कहा, “यह पूरी तरह से गलत है।”

जे पी नड्डा वर्तमान में भाजपा के अध्यक्ष हैं। वह केंद्रीय मंत्री भी हैं।

भागवत ने कहा, “हम फैसला नहीं करते। अगर हम फैसला कर रहे होते, तो क्या इसमें इतना समय लगता? हम फैसला नहीं करते। हमें फैसला करने की ज़रूरत नहीं है। अपना समय लीजिए। हमें इस बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”

भागवत ने कहा कि आरएसएस के लिए भाजपा के संबंध में निर्णय लेना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास अपने मामलों को संभालने के लिए अपनी विशेषज्ञता है, जैसे आरएसएस के पास अपनी शाखाएं चलाने के लिए है।

भागवत ने कहा, “मैं पिछले 50 सालों से शाखाएं संचालित कर रहा हूं। अगर कोई मुझे शाखा संचालित करने की सलाह देता है, तो मैं उसका विशेषज्ञ हूं। वे कई वर्षों से सरकार चला रहे हैं। इसलिए वे सरकार मामलों के विशेषज्ञ हैं। हम एक-दूसरे की विशेषज्ञता जानते हैं।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सुझाव दिए जा सकते हैं लेकिन निर्णय उन्हें ही लेना होगा क्योंकि यह उनका क्षेत्र है।