मंजुल भारद्वाज की कविता – आज़ादी की पुकार है!

आज़ादी की पुकार है!

-मंजुल भारद्वाज

हे आज़ादी के पैरोकार
अब हथकड़ियों का श्रृंगार करो !

सच बोलने वालो
ज़हर पीने के लिए रहो तैयार !

संविधान के संरक्षकों
सत्ता का प्रतिरोध करो !

लोकतंत्र के रखवालो
सड़क पर सिंहनाद हो !

यह देश की पुकार है
रंग दे बसंती चोला
गाते हुए नौजवानों
अब क्रांति का आग़ाज़ हो !

आज़ादी कुर्बानी मांग रही है
भगत सिंह को याद करो
इंक़लाब ज़िंदाबाद
संघर्ष में हिंसा नहीं
अहिंसा के पथ पर चलो !

गांधी को याद करो
सत्याग्रह करो
सत्य की डगर पर चलो
यह आज़ादी की पुकार है
सबका सरोकार है!

मंजुल भारद्वाज