जड़ तो हिली है आज
मुनेश त्यागी
अभी तो यह भीड़ है,
जलूस इसे बनने दे
जड तो हिली है आज,
नीव इसकी हिलने दे।
कलमों को तोड़ दिया,
कैमरों को छीन लिया,
जंजीर हो या बेडियां,
पर होंठ मत सिलने दे।
गांधी, नेहरू, अंबेडकर,
भगत सब कह गए,
समता और भाईचारे के,
फूल यहां खिलने दे।
एक हो बटवारा रोक,
दुश्मन की पहचान कर,
आवाज और रफ्तार बढ़ा,
सुर सबके मिलने दे।
तूफान हो या आंधियां,
तोप हों या गोलियां,
सिर जोड, कदम मिला,
मुठियों को भिंचने दे।
अभी तो यह भीड़ है,
जुलूस इसे बनने दे ,
जड़ तो हिली है आज,
नीव इसकी हिलने दे।
