स्मृति शेष
आलोक वर्मा

समानांतर सिनेमा, नया सिनेमा या कला सिनेमा जैसे नामों से परिभाषित फिल्मों के एक नये युग और नई विधा की शुरुआत करने वाले श्याम बेनेगल के निधन से एक युग का अवसान हो गया। लगभग सात दशक के करियर में, बेनेगल ने विविध दुनियाओं, विविध माध्यमों और विविध मुद्दों पर काम किया। ग्रामीण संकट और नारीवादी चिंताओं से लेकर तीखे व्यंग्य और बायोपिक तक का निर्माण किया। इन सबमें उनकी चिंता सामान्य वर्ग से जुड़ी रही। इसके लिए उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। बेनेगल की फ़िल्में नेहरूवादी भावना, विश्वव्यापीकरण, मानवतावाद और समाज के साथ एक सशक्त बौद्धिक जुड़ाव से ओतप्रोत थीं।
बेनेगल ने हिंदी सिनेमा में ‘समानांतर आंदोलन’ के जिस नए युग की शुरुआत की उसे आगे भी ले गए। बेनेगल ने अनफिल्टर्ड बाय समदिश के साथ एक साक्षात्कार में बताया था, “उन्होंने (नेहरू ने) पूछा कि क्या वह हमारे साथ लंच टेबल पर शामिल हो सकते हैं।” “उनका आकर्षण निर्विवाद था। इसलिए मैंने भारत एक खोज बनाई।” नेहरू की द डिस्कवरी ऑफ इंडिया पर आधारित 53-एपिसोड की श्रृंखला भारत के समृद्ध इतिहास और पौराणिक कथाओं की खोज करने वाली एक ऐतिहासिक टेलीविजन सीरियल रहा।



