बात बेबात
शिमला-मनाली को मात दे रहा बनारस
विजय शंकर पांडेय
बनारस में आजकल सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है—“मोक्ष बाद में मिलेगा, चलेगा, ये बताओ पहले, कंबल कहां मिलेगा?”
यूपी में इस बार ठंड ने भी चुनावी मूड बना लिया है। बनारस, जहां आमतौर पर घाटों पर गंगा की धारा से ज्यादा गरम चाय और गरम बहस बहती है, वहां तापमान ने अचानक सन्यास ले लिया। अधिकतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री नीचे चला गया और प्रशासन ने तुरंत रेड अलर्ट जारी कर दिया—क्योंकि बनारस में अगर ठंड पड़ जाए तो यह सामान्य मौसम नहीं, राष्ट्रीय आपदा मानी जाती है।
घाटों पर साधु-संत अब ध्यान छोड़कर रजाई में समाधि लेने लगे हैं। पंडित जी ने घोषणा कर दी है कि आज गंगा स्नान पुण्य से ज्यादा साहस का काम है। बनारसी पान वाले ने पान के साथ मुफ्त में “कंपकंपी” भी देना शुरू कर दिया है। चाय इतनी ठंडी हो रही है कि लोग कह रहे हैं—भइया, चाय नहीं, फ्रिज से निकालकर दे रहे हो क्या?
नगर निगम अलर्ट मोड में है। अलाव जलाए जा रहे हैं, लेकिन ठंड इतनी तेज है कि अलाव भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। नेता लोग रजाई ओढ़कर बयान दे रहे हैं कि “यह ठंड पिछली सरकार की देन है” और मौसम विभाग सफाई दे रहा है कि “हमने पहले ही चेतावनी दी थी, बस मौसम ने नहीं मानी।”

लेखक- विजय शंकर पांडेय
