चार श्रम संहिताओं और सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मुख्यमंत्री हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवास पर किया मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन

चार श्रम संहिताओं व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ  कुरुक्षेत्र में सीएम आवास पर मजदूरों का प्रदर्शन

मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की

 

कुरुक्षेत्र।  मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (MASA) के आह्वान पर अखिल भारतीय मजदूर अधिकार दिवस—14 दिसंबर 2025 के अवसर पर मुख्यमंत्री हरियाणा नायब सिंह सैनी के कुरुक्षेत्र निवास पर मासा से संबद्ध मजदूर संगठनों- जन संघर्ष मंच हरियाणा, निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन, मनरेगा मजदूर यूनियन, मनरेगा मजदूर एकता मंच, हरियाणा ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन और मजदूर संघर्ष संगठन- ने मज़दूर विरोधी लेबर कोड्स और सरकार की मजदूर–विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।

कुरुक्षेत्र में आयोजित विरोध प्रदर्शन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए मजदूरों ने देवीलाल पार्क पिपली से मुख्यमंत्री हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवास तक विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारे लगाए। इस मौके पर डयूटी मजिस्ट्रेट अजय कुमार ने उन्होंने मुख्यमंत्री हरियाणा की ओर से उनसे मांगों से संबंधित ज्ञापन ग्रहण किया। इसके अलावा एक ज्ञापन राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम सौंपा गया।

प्रदर्शन से पूर्व देवीलाल पार्क, पिपली में सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान कॉमरेड फूल सिंह ने की, संचालन MASA की केंद्रीय कोऑर्डिनेटर टीम के सदस्य कॉमरेड सोमनाथ ने किया। सभा व प्रदर्शन को सुरेश कुमार (महासचिव, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन), नरेश कुमार (राज्य प्रधान, मनरेगा मजदूर यूनियन), कामरेड पाल सिंह, डाक्टर सुनीता त्यागी, मंच महासचिव सुदेश कुमारी, रीना (ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन), प्रवेंद्र (मजदूर संघर्ष संगठन) ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार व हरियाणा भाजपा सरकार की नीतियों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुख और क्षोभ का विषय है कि जिस मजदूर वर्ग ने सारी दुनिया का निर्माण किया है वह आज नारकीय परिस्थितियों में जीने के लिए मजबूर है। एक तरफ तो मालिक वर्ग की संपत्ति दिन दुगनी और रात चौगुनी बढ़ती जा रही है और दूसरी ओर मजदूर वर्ग का शोषण और दमन बढ़ता जा रहा है। यह सच है कि मजदूर के शोषण के बिना मालिक वर्ग की संपत्ति बढ़ ही नहीं सकती।

वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूर वर्ग द्वारा संघर्ष के जरिए हासिल किए गए श्रम कानूनों को खत्म करके चार मजदूर-विरोधी श्रम-संहिताएं बना दी हैं। देशभर के मजदूर संगठनों और यूनियनों के विरोध, चेतावनियों तथा अपीलों को नजरअंदाज करते हुए केंद्र सरकार ने गत 21 नवंबर को पूंजीपतियों के हित में तैयार की गई मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया। इससे पूर्व श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति (ड्राफ्ट श्रम शक्ति नीति 2025) जारी की गई, जो सामंती दृष्टिकोण पर आधारित एक मज़दूर विरोधी कदम है। यह ड्राफ्ट आधुनिक वैज्ञानिक तथा संवैधानिक दृष्टिकोण के विपरीत है और दलित-महिला विरोधी एवं जातिगत असमानता को बढ़ाने वाला है।

मनरेगा के तहत मिली रोजगार की गारंटी को लेने के लिए मनरेगा मजदूर पहले ही संघर्ष कर रहे हैं और अब मोदी कैबिनेट ने इस अधिनियम का नाम बदलने का फैसला ले लिया है। मोदी सरकार का ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 का नाम बदलकर “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना” रखने का फैसला केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि अधिकार आधारित कानून को कमजोर करने की साजिश है। मनरेगा संसद द्वारा पारित कानून है, जो ग्रामीण मजदूरों को काम, बेरोजगारी भत्ता और मुआवजे का कानूनी अधिकार देता है। इसे “योजना” के रूप में पेश करना मंजदूरों को अधिकारधारी से लाभार्थी बना देता है, जिससे सरकार की जवाबदेही खत्म होती है और मजदूर अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई नहीं लड़ पाता। मजदूर आंदोलन इसे ग्रामीण मजदूरों के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों पर सीधा हमला मानता है। सरकार मनरेगा में फैले भ्रष्टाचार को रोकने और ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने में विफल रही है। वक्ताओं ने कहा कि मनरेगा मजदूरों के अधिकारों पर हमला सहन नहीं करेंगे।

वक्ताओं ने कहा कि निर्माणकार्य श्रमिकों को हरियाणा बीओसीडब्ल्यू बोर्ड से मिलने वाले लाभों की प्रक्रिया को 2018 से इतना जटिल कर दिया गया है कि श्रमिकों के लिए योजनाओं का लाभ लेना लोहे के चने चबाने जैसा है। इस प्रक्रिया से सरकारी अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का खूब मौका मिला और उन्होंने श्रमिकों के पैसे पर खूब चांदी लूटी। सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाई करने के बजाए लाखों श्रमिकों के ही पंजीकरण रद्द कर दिए, जोकि बड़े संघर्ष के बाद बहाल हुए थे। सरकार ने फैमिली आई.डी. में निर्माण श्रमिक होने की अनावश्यक शर्त थोप कर सभी निर्माणकार्य श्रमिकों को अपनी फॅमिली आई.डी. में त्रुटि दूर करने के लिए मजबूर कर दिया जोकि अनपढ़ श्रमिकों के लिए सी.एस.सी. संचालकों के हाथों एक और शोषण की प्रक्रिया से गुजरने का काम था। अब सरकार इसी ‘त्रुटि’ का बहाना बना कर श्रमिकों से लाभ का पैसा वापस मांग रही है। अब सरकार ने पोर्टल को पूरी तरह बंद कर दिया है। हरियाणा सरकार का यह मजदूर विरोधी रवैए को सहन नहीं किया जाएगा।

उनका आरोप था कि सफाई कर्मचारियों की मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा, ना उनको स्थायी किया जा रहा और ना उनके लिए सुरक्षित कार्य-परिस्थितियाँ ही सुनिश्चित की रही। एक ओर कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के मुनाफे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर मजदूरों को नौकरी से निकाला जा रहा है, उनकी मजदूरी घटाई जा रही है, काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं और उनके सम्मान एवं अस्तित्व पर व्यवस्थित हमला किया जा रहा हो। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और संपत्तियों का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है तथा लंबे संघर्षों से प्राप्त मज़दूर अधिकार समाप्त किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम ज्ञापन में ग्रामीण आवास योजना की बकाया किश्तें तुरंत डालने और गत दिनों किये गए सर्वे में पाए गए लाभार्थियों को तुरंत लाभ देने तथा गरीब मजदूर बस्तियों में शराब व अन्य नशीली चीजों की बिक्री और इनके उत्पादन पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग भी की गई।

मजदूर नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि 15 दिन के अंदर मुख्यमंत्री हरियाणा ने मनरेगा व निर्माण मजदूरों की मांगों और समस्याओं का समाधान नहीं किया तो मासा से संबद्ध संगठन मीटिंग करके आगामी आंदोलन का निर्णय लेंगे। जरूरत पड़ी तो भाजपा सरकार के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को घेराव जाएगा। प्रोग्राम का समापन जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रांतीय अध्यक्ष कामरेड फूल सिंह ने किया। इस सभा व प्रदर्शन में अनेक मजदूर नेताओं करनैल सिंह, रघुवीर सिंह, सतबीर सिंह, जोगिंदर सिंह आदि व सैकड़ों मजदूरों ने भाग लिया। भारी संख्या में मजदूर महिलाएं शामिल हुई।

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