विज्ञान
हम सितारों की संतान हैं — कार्ल सेगन का विज्ञान और मानवता का संदेश
कृष्ण नैन
ब्रह्मांड के कवि वैज्ञानिक कार्ल सेगन का जिनका जयंती 9 नवम्बर को थी। यह तिथि केवल एक वैज्ञानिक का जन्मदिन नहीं, बल्कि उस विचारक की स्मृति होती है जिसने ब्रह्मांड और मनुष्य के रिश्ते को विज्ञान के साथ संवेदना से जोड़ा। कार्ल सेगन (Carl Sagan) ने हमें यह समझाया कि विज्ञान केवल यंत्रों, समीकरणों और प्रयोगशालाओं की बात नहीं करता, बल्कि यह मनुष्य की आत्मा, उसकी जिज्ञासा और उसके अस्तित्व के प्रश्नों से भी जुड़ा है। विज्ञान में काव्य का स्पर्श हैं। सेगन कहते थे — “हमारे डीएनए की नाइट्रोजन, हमारे दाँतों का कैल्शियम, हमारे रक्त का लोहा — सब किसी फटते हुए तारे के अवशेष से बने हैं।”
13.8 अरब वर्ष पहले हुए सूरज के महाविस्फोट के बाद ब्रह्मांड में केवल हाइड्रोजन और हीलियम जैसी हल्की गैसें थीं। फिर नाभिकीय संलयन के जरिए सितारों ने भारी तत्व बनाए। जब विशाल तारे अपने ही गुरुत्वाकर्षण के बोझ से ढहते हैं, तो सुपरनोवा विस्फोट में वे लोहा, सोना, यूरेनियम जैसे तत्वों को जन्म देते हैं।
यही तत्व अंतरिक्ष में धूल बनकर बिखरते हैं और उन्हीं से नए ग्रह, नए तारे और अंततः जीवन का निर्माण होता है। इसीलिए, सचमुच — हम सितारों की संतान हैं।
सृजन और विनाश का द्वंद्व — ब्रह्मांड का नियम
यह दुनिया, मनुष्य सहित इसके सभी संजीव किसी देवी देवता के विचार से नहीं बने हैं। बल्कि पदार्थ के ही रूप हैं। इन्हीं पदार्थों की देन हमारा मस्तिष्क हैं, जिनमें धीरे धीरे भावनाएं विकसित होती गई हैं,जो कल्पनाएं करती हैं। सेगन का दृष्टिकोण केवल भौतिकी तक सीमित नहीं था। वे ‘सृजन-विनाश-सृजन’ की इस प्रक्रिया को एक दार्शनिक सत्य के रूप में देखते थे। कोई तारा जब मरता है, तो उसके भीतर का पदार्थ नष्ट नहीं होता — वह रूप बदलता है, ऊर्जा में परिवर्तित होता है, और नए जीवन का आधार बनता है। इसमें कोई आत्मा जैसी चीज नहीं होती हैं।
यह विज्ञान का नियम है, पर साथ ही समाज और जीवन का भी — हर अंत एक नई शुरुआत की भूमिका होता है। पदार्थ ना पैदा किया जा सकता हैं ना नष्ट किया जा सकता हैं।
पृथ्वी — हमारी एकमात्र पनाहगाह
कार्ल सेगन ने “Pale Blue Dot” नामक अपने प्रसिद्ध विचार में चेताया कि ब्रह्मांड के इस विराट विस्तार में हमारी पृथ्वी मात्र एक धूल कण जितनी बड़ी ही है। फिर भी, यही धूल कण जीवन का पालना है। उन्होंने कहा —
“हम सब उसी छोटे से नीले बिंदु पर हैं — जहाँ हर प्रेम, हर संघर्ष, हर सपना, हर इतिहास घटा है।”
सेगन का विज्ञान हमें विनम्र बनाता है। यह सिखाता है कि यदि हम ब्रह्मांड के सच को जानना चाहते हैं, तो पहले हमें अपनी पृथ्वी को बचाना होगा। इसके पर्यावरण, जल,जंगल को बचाना होगा। जो अधिकतम लाभ की कामना से नष्ट हो रहे हैं,जो सिर्फ समता – समानता – बंधुत्व के भाव से बच सकते हैं।
विज्ञान और मानवता का संगम
सेगन का विज्ञान किसी अमीर देश या अमीर संस्था की प्रयोगशाला में नहीं, बल्कि जनमानस में सांस लेता था। वे टेलीविज़न कार्यक्रम कोसमोस के माध्यम से विज्ञान को जनता तक लाए — उसे एक जनांदोलन, एक संवाद बनाया।
उनके लिए विज्ञान एक नैतिक दायित्व था — अंधविश्वास – पाखण्डों और शोषण – युद्ध से मुक्त एक विवेकशील समाज की खोज।
वे कहते थे — “हम ब्रह्मांड हैं जो स्वयं को देख रहा है।”
यह कथन केवल वैज्ञानिक नहीं, मानवीय भी है — यह बताता है कि हर मनुष्य इस ब्रह्मांड की चेतनशील अभिव्यक्ति है। इसलिए कोई भी धर्म,जाति, क्षेत्र, लिंग,भाषा,रंग, व्यवसाय के आधार पर अमीर गरीब, या श्रेष्ठ – कमतर नहीं होना चाहिए।
सितारों से सीखने की ज़रूरत
आज जब पृथ्वी जलवायु संकट, असमानता, हिंसा और विभाजन से जूझ रही है, जातिवाद , लिंगभेद व धार्मिक कट्टरवाद, शोषणकारी प्राईवेट बाजारवाद ने जीना मुश्किल कर रखा हैं।सेगन की शिक्षा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने चेताया था कि विज्ञान का उपयोग यदि मानवता की सेवा में न हुआ, तो वही विनाश का कारण बनेगा। जो अब बनता जा रहा हैं।
सेगन की दृष्टि हमें बताती है कि हमारी असली शक्ति किसी हथियार में नहीं, बल्कि उस बोध में है कि —
“हम सब एक ही ब्रह्मांडीय परिवार के सदस्य हैं।”
सितारे हमें यह सिखाते हैं कि जलना ही प्रकाश देना है, और अपने भीतर की ऊर्जा को मानवता के हित में बदल देना ही असली ‘स्टारडम’ है।
कार्ल सेगन की विरासत केवल विज्ञान की नहीं, बल्कि मनुष्यत्व की है। उन्होंने यह विश्वास जगाया कि ज्ञान, जिज्ञासा और करुणा — यही तीन तत्व हमें ब्रह्मांड से जोड़ते हैं।
जब हम आकाश की ओर देखते हैं, तो हम किसी और दुनिया को नहीं, अपने ही स्रोत, अपने ही अंश को देख रहे होते हैं।
और यही सत्य — “हम सितारों की संतान हैं” — हमें विज्ञान, विनम्रता और जीवन की गहरी एकता का बोध कराता है।
