विनोद कुमार शुक्ल जी नहीं रहे, विनम्र श्रद्धांजलि

फोटो सोशल मीडिया से साभार

विनोद कुमार शुक्ल जी नहीं रहे, विनम्र श्रद्धांजलि

ज्ञानपीठ से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का आज निधन हो गया। रायपुर एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। दीवार में एक खिड़की रहती थी, नौकर की कमीज जैसी बहुप्रशंसित पुस्तकों के लेखक थे विनोद कुमार शुक्ल। उन्होंने हमेशा चुपचाप सृजन किया। लेकिन उन्होंने खुले रूप में कभी अन्याय के खिलाफ आवाज भी नहीं उठाई। जिसे लेकर उनकी आलोचना भी हुई। उनकी कृतियां बेजोड़ हैं इनमें कोई दो राय नहीं। किसी ने उन्हें धीमी आंच का लेखक कहा है तो किसी ने शब्दों का सर्जक। उन्होंने शब्दों के जरिये एक ऐसी दुनिया का सृजन किया जिसमें वंचित तबके की बात उठाई गई, जिसके बारे में तमाम लोग चाह कर भी चर्चा नहीं कर पाते हैं। उनके उपन्यास पर एक टिप्पणी का एक अंश है- नौकर की कमीज किसी वृहत्तर राष्ट्रीय रूपक या बड़े जीवन दर्शन को रेखांकित करता है बल्कि इसलिए कि भाषाई स्तर पर यह एक ऐसा शांत और निरुद्वेग मुहावरा प्रदान करता है जो जीवन में रचे पगे होने की प्रतीति कराते हुए भी उससे कहीं अलग और स्वायत्त रहता है। शब्दों को जो अर्थवत्ता शुक्ल जी ने दी इस दौर में उस तरह किसी और ने नहीं दी। उनके जाने से खासतौर पर हिंदी साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनसे कुछ और बेजोड़ रचनाएं हिंदी भाषा को मिल सकती थीं। सादर नमन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *