जयपाल की दो कविताएं

 कविताएँ

1.

दादी मां

जयपाल

 

वे कहते हैं

दादी मां को दिखाई नहीं देता

पर घर में हर कोई

दादी मां की नजर बचाकर ही निकलता है

कभी वे कहते हैं

दादी मां को सुनाई नहीं देता

पर घर में जब भी कोई ऊंचा बोलता है

अपनी आवाज़ धीमी कर लेता है

पोते कहते हैं दादी मां को कुछ याद नहीं रहता

आजादी की कहानियां वे दादी मां से ही पूछते हैं

2.

कविता की तरह

 

मां अनपढ़ है

न कविता लिख सकती है

न पढ़ सकती है

न समझ सकती है

पर मां को

लिखा जा सकता है

पढ़ा जा सकता है

समझा जा सकता है

कविता की तरह

——

 

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