चुनाव प्रचार के दौरान भाषा का गिरता स्तर

राजस्थान में मतदान होने में अभी दो दिन बाकी है। कल चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। वीरवार शाम को सार्वजनिक सभाएं, रोड शो बंद हो जाएंगे। घर-घर जाकर प्रचार का विकल्प रह जाएगा। लेकिन प्रचार के अंतिम दौर तक पहुंचने तक विरोधियों के प्रति भाषा अमर्यादित हो चुकी है, या यों कहें कि निचले स्तर पर पहुंच गई। लंबे-चौड़े वादों के सहारे चुनाव लड़ रहीं दोनों प्रमुख पार्टियां जनता के बीच में थीं। लेकिन गुटबाजी, असंतुष्टों के बागी हो जाने तथा जनमानस में अपनी बात का असर न होता देख दोनों दलों के प्रमुख नेता एक दूसरे के प्रति जिन शब्दों का प्रयोग करने पर उतर आए वह अत्यंत ही अशोभनीय है।

प्रचार के दौरान भाजपा के बड़े नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां कांग्रेस को राजस्थान में भ्रष्टाचार, पेपर लीक, महिला सुरक्षा, कन्हैया लाल रैगर की हत्या के मामले पर जोर शोर से घेरने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं घोषणा पत्र के वादों के जरिये वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने वादा किया है कि सरकार आने पर गेहूं की फसल 2700 रुपये क्विंटल खरीदेगी। जिन किसानों की जमीन कुर्क की गई है उनको मुआवजा देने के लिए कमेटी बनाएगी। महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर शहर में एंटी रोमियो फोर्स और हर थाने में महिला डेस्क बनाई जाएगी। इसके साथ ही पांच साल में ढाई लाख लोगों को सरकारी नौकरी, मेरिट में आने वाली छात्राओं को 12वीं के बाद स्कूटी दी जाएगी। गहलोत सरकार के घोटालों की जांच के लिए एसआईटी बनाने का वादा भी किया है। इसके तहत पेपर लीक, जल जीवन मिश, वृद्धावस्था पेंशन घोटालों की जांच कराई जाएगी। मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी लाडो प्रोत्साहन योजना शुरू करने का वादा किया है।

मतदान के चार दिन पहले अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए कांग्रेस ने भी कई बड़े वादे किये हैं। उसने जातीय जनगणना कराने, 10 लाख युवाओं को नौकरी देने, एमएसेपी के आधार पर फसल खरीदने, चिरंजीवी योजना का दायरा 50 लाख तक बढ़ाने तथा सिलेंडर चार सौ रुपये में देने का वादा किया है। इसके अलावा वह पहले ही सात गारंटियों की घोषणा कर चुकी है।

इससे पहले लग रहा था कि इस बार चुनाव मुद्दों पर लड़ा जाएगा। लेकिन प्रचार के अंतिम चरण में दोनों दलों के बड़े नेताओं ने भाषाई मर्यादा का बंधन तोड़ दिया। पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी एक सभा में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे पर आरोप लगाया कि उन्होंने मेरे पिता को गाली दी। वह यह नहीं बता पाए कि खड़गे ने किस सभा में यह बात कही। खड़गे ने सफाई भी दी कि वह क्यों मोदी जी के पिता को गाली देंगे। इसके बाद एक अन्य सभा में प्रधानमंत्री ने बगैर नाम लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मूर्खों का सरदार कह दिया। प्रधानमंत्री ने सभा में यहां तक कहा कि वोट देते समय ईवीएम का बटन इतने जोर से दबाना कि कांग्रेस की मृत्यु हो जाए। फिर राहुल गांधी भी कहां पीछे रहते। मोदी के भाषण के एक दिन बाद उन्होंने एक चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी को “पनौती” तक कह डाला। उन्होंने कहां कि विश्व कप में भारत के लड़के अच्छा खेल रहे थे लेकिन पनौती के चलते वे फाइनल हार गए।

उन्होंने कहा कि पीएम मतलब “पनौती” मोदी। असल में भारतीय टीम के विश्व कप में हारने का कारण प्रधानमंत्री मोदी को अहमदाबाद स्टेडियम में जाकर खेल देखने को ठहराया जा रहा है। इसे लेकर पिछले तीन दिन से सोशल मीडिया पर उनको ट्रोल किया जा रहा है। मीम बनाकर मोदी को “पनौती” कहा जा रहा है। राहुल गांधी ने उसी के सहारे प्रधानमंत्री को “पनौती” कहा । राहुल के कहने के बाद कांग्रेस के बड़े बड़े नेता “पनौती” को ट्रेंड कराने लगे और राहुल की बात को सही ठहराने लगे। इससे पहले राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर देश की संपत्ती अडानी को देने तथा उनका लोन माफ करने को लूट कहते रहे हैं। अब उन्होंने मोदी-अडानी के साथ गृह मंत्री अमित शाह को भी जोड़ लिया है। एजेंसियों के दुरुपयोग का मामला भी अपनी सभाओं में उठाते रहे हैं।

राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को “पनौती” कहे जाने पर अब मीडिया भी टूट पड़ा है। वह तरह तरह की दलीलें दे रहा है। लेकिन दूसरे लोग सवाल उठा रहे हैं कि मोदी ने जब राहुल को मूर्खों का सरदार कहा तब गोदी मीडिया और मोदी समर्थक पत्रकार क्यों चुप थे। लेकिन चाहे प्रधानमंत्री मोदी हों या कांग्रेस नेता राहुल गांधी या कोई और, नेताओं को शब्दों के प्रयोग पर सावधानी दिखानी होगी नहीं तो उसका संदेश जनता के बीच अच्छा नहीं जाएगा।