एसआईआर का दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चार नवंबर से शुरू
नयी दिल्ली। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार के बाद अब देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद आगामी चार नवंबर से शुरू होगी और अंतिम मतदाता सूची अगले साल फरवरी में प्रकाशित होगी।
दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में एसआईआर कराया जाएगा।
इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव संभावित हैं।
कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया कि असम में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी। असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव संभावित है।
एसआईआर का दूसरा चरण चार नवंबर को गणना प्रक्रिया के साथ शुरू होगा और यह चार दिसंबर तक चलेगा। निर्वाचन आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।
कुमार ने असम के संदर्भ में कहा कि इस प्रदेश में नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान लागू होता है।
उनका कहना था, ‘‘”नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं। उच्चतम न्यायालय की निगरानी में नागरिकता की जांच का कार्य लगभग पूरा होने वाला है। 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था। ऐसी परिस्थितियों में यह असम पर लागू नहीं होता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए असम के लिए अलग से पुनरीक्षण आदेश जारी किए जाएंगे और एसआईआर की एक अलग तिथि घोषित की जाएगी।’’
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि मौजूदा एसआईआर स्वतंत्रता के बाद से ऐसी नौवीं कवायद है और पिछला एसआईआर 21 वर्ष पहले 2002-04 में हुआ था।
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई और इसको लेकर कोई भी अपील नहीं आई जो इस कवायद की सबसे बड़ी खूबी रही।
कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा। एसआईआर यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी योग्य मतदाता का नाम छूट न जाए और किसी भी अयोग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल न हो।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘एसआईआर के दूसरे चरण में 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। गणना प्रक्रिया चार नवंबर से शुरू होगी, जबकि मसौदा मतदाता सूची नौ दिसंबर को और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।”
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी टकराव की स्थिति बनने से भी इनकार किया। प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्तियां जताई हैं।
कुमार का कहना था, ‘‘निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच कोई टकराव नहीं है। आयोग एसआईआर प्रक्रिया को अंजाम देकर अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहा है और राज्य सरकार भी अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करेगी।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने के लिए आयोग को आवश्यक कर्मी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं।
स्थानीय निकाय चुनावों के कारण केरल में एसआईआर प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग पर, कुमार ने कहा कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है।
बिहार में मतदाता सूची को दुरुस्त करने का काम पूरा हो चुका है, जहां लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं की अंतिम सूची बीते 30 सितंबर को प्रकाशित की गई थी। राज्य में मतदान दो चरणों में होगा छह नवंबर और 11 नवंबर को होगा तथा मतगणना 14 नवंबर को होगी।
आयोग एसआईआर कराने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है। कई सीईओ ने अपनी पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर डाल दी हैं।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
राज्यों में अंतिम एसआईआर उसी तरह से ‘कट-ऑफ’ तिथि के रूप में काम करेगी जैसे बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण के लिए किया था।
अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का अंतिम एसआईआर 2002 और 2004 के बीच था और उन्होंने अपने-अपने राज्यों में हुए अंतिम एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मानचित्रण लगभग पूरा कर लिया है।
एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों की जांच करके उनका नाम मतदाता सूची से बाहर करना है। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न देश के अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है।
बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में वास्तविक मतदाताओं के नाम न छूटें: माकपा

निर्वाचन आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा किए जाने के बाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को मांग की कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पारदर्शी तरीके से प्रकाशित की जाए।
माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी प्रत्येक मतदान केंद्र पर बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) तैनात करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एसआईआर के दौरान वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से न छूटें।
उन्होंने माकपा के राज्य मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मतदाता सूची पूर्ण रूप से पारदर्शी तरीके से प्रकाशित की जानी चाहिए।’’
मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की मांग करते हुए सलीम ने कहा कि एसआईआर का उपयोग वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में जन्म और मृत्यु पंजीकरण की व्यवस्था है, और यह सुनिश्चित करना निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है कि असली मतदाताओं के नाम सूची में बने रहें।’’
जनगणना में देरी पर सवाल उठाते हुए सलीम ने आरोप लगाया कि विश्वसनीय आंकड़ों के अभाव में कई मामलों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) और उसके केंद्रीय नेता यह कैसे दावा कर सकते हैं कि एसआईआर के बाद बंगाल की मतदाता सूची से एक करोड़ नाम हट जाएंगे? सही संख्या तो प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पता चलेगी।’’
सलीम ने कहा कि किसी भी नागरिक का मताधिकार धर्म, लैंगिकता या आर्थिक स्थिति के आधार पर नहीं छीना जा सकता।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर कार्यक्रम की घोषणा से कुछ घंटे पहले राज्य सरकार ने 200 से अधिक नौकरशाहों और वरिष्ठ अधिकारियों का जिलों में तबादला क्यों किया?
एसआईआर को लेकर निर्वाचन आयोग की नीयत और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह : कांग्रेस

कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि कई सवालों के जवाब नहीं मिलने और कथित ‘वोट चोरी’ के मामले को देखते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करावाए जाने से विपक्ष और जनता संतुष्ट नहीं हैं तथा निर्वाचन आयोग की नीयत और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि बिहार में एसआईआर से निर्वाचन आयोग और भाजपा की नीयत पूरे देश के सामने आ चुकी है।
खेड़ा ने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘‘आज निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों में एसआईआर की घोषणा की। अभी तक बिहार में हुए एसआईआर से जुड़े सवालों के जवाब हमें नहीं मिले हैं। हालात ये थे कि एसआईआर को दुरुस्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय को आगे आना पड़ा।’’
उनका कहना था कि बिहार के एसआईआर से निर्वाचन आयोग और भाजपा की नीयत पूरे देश के सामने आ चुकी है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जब भी एसआईआर होता है, तो निर्वाचन आयोग के कर्मचारी हर घर जाते हैं, नए वोटरों को जोड़ते हैं और जिन्हें हटाना होता है, उन्हें हटाते हैं। राहुल गांधी जी द्वारा आलंद विधानसभा क्षेत्र (कर्नाटक) में ‘वोट चोरी’ का खुलासा किए जाने बाद एसआईटी ने बताया है कि मतदाता सूची से नाम काटने का एक केंद्रीकृत अभियान चलाया जा रहा था।’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘इन सारे मामलों के बीच ऐसे आयोग द्वारा एसआईआर करवाना संदेह के घेरे में है, जिसकी नीयत, मंशा और विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा सवालिया निशान है। जाहिर सी बात है कि विपक्ष और वोटर, दोनों ही संतुष्ट नहीं हैं।’’

जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए: उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि निर्वाचन आयोग को मतदाता सूचियों का राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने का इंतजार करना चाहिए।
सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद यहां अपने विधानसभा कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “बिहार में एसआईआर को लेकर पहले से ही आशंकाएं हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस कवायद से इसे करने वालों को कोई लाभ होगा या नहीं।”
उन्होंने कहा, “बिहार में चुनाव पूरे हो जाने दीजिए, फिर देखेंगे कि इससे कोई फायदा हुआ या नहीं। फिर हम इसे देश के बाकी हिस्सों में लागू करने की बात कर सकते हैं।”
