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अब साहित्य अकादमी ने बांग्ला कवि श्रीजतो बंद्योपाध्याय का कार्यक्रम किया रद्द
दक्षिणपंथियों ने कविता में हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का लगाया था आरोप
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में साहित्य के साथ इतना बुरा कभी नहीं हुआ। अब अकादमियां केवल कहने के लिए स्वायत्त संस्था रह गई हैं। यह दक्षिणपंथी संगठनों की बंधक बनकर रह गई हैं। छह महीने के भीतर इन संगठनों के धमकाने पर पश्चिम बंगाल में दूसरी बार एक साहित्यकार का कार्यक्र रद्द करना पड़ा है। पहले मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का कार्यक्रम उर्दू अकादमी ने रद्द किया था और इस बार साहित्य अकादमी ने श्रीजतो बंद्योपाध्याय का कार्यक्रम रद्द कर दिया है।
कोलकाता में साहित्य अकादमी के एक कार्यक्रम को ‘अपरिहार्य परिस्थितियों का हवाला देते हुए अकादमी ने रद्द कर दिया। इस कार्यक्रम में लोकप्रिय बंगाली कवि श्रीजतो बंद्योपाध्याय को एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।
श्रीजतो की विवादास्पद कविता ‘अभिशाप’ के लिए उनके चयन पर लोगों के एक वर्ग द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से दर्ज की गई आपत्तियों के मद्देनजर यह कार्यक्रम रद्द किया गया।
विवादास्पद कविता में कथित रूप से एक आपत्तिजनक पंक्ति थी जिस पर लोगों के एक वर्ग ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की और आरोप लगाया कि श्रीजतो हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त संस्था ‘अकादमी’ ने शहर स्थित अपने सभागार मंय पिछले सप्ताह आयोजित होने वाले ‘अभिव्यक्ति’ नाम के कार्यक्रम को रद्द करने का कारण नहीं बताया।

कुछ दिन पहले कार्यक्रम के लिए वक्ताओं की सूची सार्वजनिक किए जाने के बाद लोगों के एक वर्ग ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में आरोप लगाया कि अकादमी जन भावनाओं के प्रति असंवेदनशील है।
श्रीजतो बंद्योपाध्याय से जब उनकी टिप्पणी के लिए प्रक्रिया लेने के प्रयास किए गए तो उन्होंने व्हाट्सएप संदेश या फोन का कोई जवाब नहीं दिया।
अकादमी ने 24 अक्टूबर की शाम सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘25 अक्टूबर को अपराह्न ढाई बजे साहित्य अकादमी के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता में आयोजित होने वाला अभिव्यक्ति कार्यक्रम कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण रद्द कर दिया गया है।’’

 
			 
			 
			