चुनाव आयोग पर दो लाख रुपये का जुर्माना !
गुरदीप सप्पल
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाया जुर्माना?
क्योंकि उत्तराखंड चुनाव आयोग ने ग्रामीण लोकल बॉडी ( पंचायत चुनाव ) में ऐसे उम्मीदवारों का नॉमिनेशन रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिनका नाम दो या ज़्यादा जगह वोटर लिस्ट में शामिल था!
चुनाव आयोग का यह फ़ैसला उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्देश के ख़िलाफ़ था। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को नियम मानने के लिए कहा था, लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा नहीं किया। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने आज पेनल्टी लगाई है।
पर चुनाव आयोग ने ऐसा किया क्यों?
दरअसल जनवरी में उत्तराखंड में अर्बन लोकल बॉडी यानी म्युनिसिपल चुनाव हुए। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने लोगों को गांव से शहर की वोटर लिस्ट में शिफ्ट कर दिया, ताकि फ़र्ज़ी वोटिंग से वो चुनाव जीत सकें।
चुनाव पूरे होने के बाद, भाजपा ने अपने लोगों को वापस गाँव की वोटर लिस्ट में शिफ्ट करना शुरू किया ताकि मई-जून में होने वाले पंचायत चुनाव में वोटिंग में नाजायज़ फ़ायदा ले सके।
हमने (कांग्रेस ने ) इसे पकड़ लिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने चुनाव आयोग को बार बार लिखा कि ऐसा नहीं किया जा सकता।
हमने चुनाव आयोग को याद दिलाया कि वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए कम से कम छह महीने उसी पते पर रहने का नियम है। छह महीने से कम समय में कोई भी वोटर दोबारा अपना नाम शिफ्ट नहीं कर सकता है।
कांग्रेस के विरोध के कारण भाजपा के लोग वापस ग्रामीण एरिया में अपना नाम शामिल नहीं करवा सके। तो उन्होंने क्या करना शुरू किया? उन्होंने नाम शिफ्ट करने की जगह नए सिरे से अपना नाम दूसरी जगह जुड़वा लिया। अब वो दो दो जगह के वोटर हो गए।
भाजपा के ऐसे लोगों के जब चुनाव में टिकट मिला, तो कांग्रेस के लोगों ने चुनाव आयोग से कहा कि ऐसे लोगों का नॉमिनेशन रद्द होना चाहिये। लेकिन चुनाव आयोग ने अपने ही नियम को मानने से मना कर दिया।
इसीलिए लोग हाई कोर्ट में गए। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि Uttarakhand Panchayati Raj Act, 2016 के Section 9(6) और 9(7) के अनुसार ऐसे उम्मीदवारों का नॉमिनेशन रद्द किया जाये।
लेकिन उत्तराखंड चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट के निर्देश को ही मानने से मना कर दिया और भाजपा के लोगों को दो दो जगह वोटर होने के बावजूद चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी!
इसीलिए आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर ही पेनल्टी लगा दी है।
वोट चोरी की इस दास्तान पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपनी मुहर लगा दी ।
वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार