जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सहीः सुप्रीम कोर्ट

  • चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का आदेश

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा है और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले को उचित बताया। लेकिन अपने फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्रीय चुनाव आयोग को राज्य में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का आदेश भी दिया है।
यह ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल , जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ ने सुनाया है। ये फैसला तीन जजों ने लिखा है और एकमत से आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं, इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
संसद ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 को खत्म कर दिया था। जिसके बाद राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो हिस्सों में बांट दिया गया था। इसके बाद जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 दिसंबर 2023 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था।
टाइम लाइन
यूं तो भाजपा लगातार कहती रही थी कि जब वह सत्ता में आएगी तो जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म कर देगी। उसे यह मौका मिला 2019 में। भाजपा ने पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर में अपना गठबंधन 2018 में खत्म कर दिया। इसके पश्चात राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नवंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी। दिसंबर 2018 में वहां केंद्रीय शासन लागू कर दिया गया । 19 दिसंबर 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा जारी की। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 2 जुलाई 2019 को खत्म होना था लेकिन इसे छह महीने तक बढ़ा दिया गया।
इसके बाद फरवरी 2019 में आरपीएफ के काफिले पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी। तत्पश्चात पाकिस्तान के बालाकोट क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पार, भारत ने आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमले किए। 2019 में ही राष्ट्रपति ने ‘संविधान सभा’ के अर्थ में संशोधन का आदेश जारी किया था। भारत में भाजपा को मई 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया।
इसी बीच,अचानक जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक तैनात कर दिए गए। अमरनाथ तीर्थयात्रियों से कहा गया कि वे लौट जाएं। अगस्त में पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित प्रमुख कश्मीरी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। 5 अगस्त 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के लिए राष्ट्रपति के आदेश की मांग की। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया, लद्दाख (केंद्रीय रूप से प्रशासित) और जम्मू-कश्मीर (स्थानीय रूप से इसकी विधान सभा के साथ प्रशासित)।
28 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता को 5 जजों की बेंच के पास भेजा गया था। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी संविधान पीठ को सौंपने से इनकार कर दिया था। 3 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नई संविधान पीठ को सौंप दिया । नई संविधान पीठ ने 11 जुलाई 2023 को आगे के निर्देशों के लिए मामले पर सुनवाई हुई। अगस्त 2023 में 16 दिनों की मैराथन सुनवाई हुई। 5 सितंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।