Blog एस.पी. सिंह की ग़ज़ल — मैं ख़ुद ही अपने ग़म का क़ाफ़िला हूँ ग़ज़ल मैं ख़ुद ही अपने ग़म का क़ाफ़िला हूँ एस.पी. सिंह जनाज़े पे मेरे न ज़्यादा भीड़ करना हूँ, मैं… Pratibimb Media8 October 20258 October 2025