रमेश जोशी का गीत- सड़ी शक्ल

गीत

सड़ी शक्ल

रमेश जोशी

कुछ बड़ी गड़बड़ी है मियाँ

वरना क्यूँ हड़बड़ी है मियाँ

बाप को देते हो गालियाँ

ऐसी कैसी चढ़ी है मियाँ

पा के कल्लू करमचँद बने

कुर्सी जादू-छड़ी है मियाँ

मुल्क का खून पीने लगे

प्यास कितनी बड़ी है मियाँ

जश्न की बात करते हो तुम

हमपे आफत पड़ी है मियाँ

बंद कमरों में क्या ढूँढ़ते

धूप बाहर खड़ी है मियाँ

आँख लगती नहीं इक घड़ी

आँख किससे लड़ी है मियाँ

ख्व़ाब हूरों के देखो हो तुम

शक्ल लेकिन सड़ी है मियाँ 

One thought on “रमेश जोशी का गीत- सड़ी शक्ल

  1. ओम सिंह अशफ़ाक कुरुक्षेत्र (हरियाणा) says:

    वाह..! रमेश जोशी जी की गजल क्या कहने..! बहुत ही खूब कहा है। छोटी बहर की शानदार और सटीक रचना। शायर और प्रतिबिंब मीडिया दोनो को बधाई!
    ओमसिंह अशफ़ाक कुरुक्षेत्र, हरियाणा-प्रदेश,भारत।

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