व्यंग्य
दिल्ली का ठग, मोहब्बत और नेहरू
रमेश जोशी
हमारे एक कोई तीस-पैंतीस साल पुराने परिचित कनिष्ठ मित्र हैं । मुसलमान हैं , शायरी करते हैं । हिन्दू होते तो कविता करते । आजकल हिन्दू शायरी नहीं कर सकता, ग़ज़ल नहीं, सजल लिखता है । अन्यथा हिन्दुत्व जो 11 साल से खतरे में हैं और अधिक खतरे में पड़ सकता है । लेकिन ये महाशय नवरात्र भी करते हैं । पहले तो हमने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब समझ में आ रहा है कि शायद यह उसका ‘नवरात्र जिहाद’ रहा हो ।
हमारा एक सहपाठी था इंटर में सन 1959 में, नाम था लीलाधर लेकिन धर्म से मुसलमान । उस समय तो समझ नहीं आया लेकिन अब लगता है कहीं उसका इरादा ‘नाम जिहाद’ करने का तो नहीं था । अब एक दिन इन शायर सज्जन का मैसेज आया जिसमें उनके नाम के साथ डी पी में लिखा हुआ था ‘आई लव मुहम्मद’ । अ
ब हमें समझ आ गया कि इसके संस्कार भी ठीक नहीं है अन्यथा जहाँ लोग सेवा और संस्कृति के लिए किशोरावस्था में ब्याहता पत्नी को छोड़ देते हैं ये महाशय रिटायर होने के बाद भी अब लव के चक्कर में पड़े हैं और वह भी मोहम्मद के साथ । हद है ।
अगर हिंदुओं जैसे संस्कारी इसके समाज में होते तो मीरा के देवर बनबीर की तरह कृष्ण के चरणामृत के नाम पर जहर पिला देते । हमारे तो एक संस्कारी पार्टी के सदस्य हैं । सुनसान हाई वे पर एकांत में लव कर रहे थे । कोई दिखावा नहीं, कोई ‘आई लव’ का बोर्ड नहीं, सच्चे कर्मवीर । किसी हिन्दुत्व विरोधी ने छुपकर फ़ोटो उतार ली और दुष्कर्म कहकर प्रचारित कर दिया लेकिन हमें न्याय पर विश्वास है । जमानत तो तत्काल मिल ही गई है ।
हमें और उन्हें न्याय पर विश्वास है । किसी दिन चुपचाप रिहा भी हो जाएंगे । अगर दुर्भाग्य से सजा हो गई तो क्या है पैरोल पर बाहर बने रहेंगे । और किसी दिन लोकतंत्र के अमृत महोत्सव पर संस्कारी ब्राह्मण बताकर ससम्मान रिहा भी कर दिए जाएंगे ।
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आज तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- तू किसे प्यार करता है ?
हमने कहा- वैसे तो प्यार हर व्यक्ति का निजी मामला होता है और वह उसे बताने के लिए बाध्य नहीं होता लेकिन जैसे पारदर्शी नेता जनहित में अपने आम खाने के तरीके जैसे नितांत निजी तथ्य तक को बताा देते हैं वैसे हम भी तुझे बता देते हैं कि हम अपनी पेंशन से प्यार करते हैं । इससे पहले अपनी तनख्वाह और नौकरी से करते थे ।
बोला- मास्टर, बहुत तुच्छ और स्वार्थी व्यक्ति है तू । देख आज दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन को देख जिसके सदस्य खुद से पहले राष्ट्र को प्यार करते हैं । सिक्के तक पर लिखवा दिया है – राष्ट्राय स्वाहा । राष्ट्र के लिए सब कुछ स्वाहा किए जा रहे हैं । भाईचारा, सद्भाव, एकता, सब कुछ और एक तू है जो पेंशन से चिपका हुआ है ।
अब इन ‘आई लव मोहम्मद’ वालों से राष्ट्र को बचाने के लिए राष्ट्रप्रेमियों को इस लव के चक्कर में पड़ना पड़ रहा है । हमेशा से ‘जय लक्ष्मी रमणा’ गाने वालों को राख रमाने वाले दिगम्बर महादेव से प्रेम करना पड़ रहा है – आई लव महादेव वाली टी शर्ट पहननी पड़ रही है । हालाँकि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार यह गलत है । उनके अनुसार केवल गिरिजा पार्वती ही महादेव से प्रेम कर सकती है । और पार्वती ने भी तपस्या की थी टीशर्ट तो नहीं ही छपवाई थी । बरेली की तरह बैनर तो नहीं लगाया था ।
हमने पूछा- तोताराम इस षड्यन्त्र के पीछे कौन हो सकता है ? पाकिस्तान, चीन, ट्रम्प या कोई और ?
बोला- ऐसे षड्यंत्रों के पीछे नेहरू गांधी परिवार के अतिरिक्त और कौन हो सकता है । तुझे पता होना चाहिए कि 1958 में एक फिल्म बनी थी- ‘दिल्ली का ठग’ जिसमें किशोर कुमार नूतन के लिए एक गाना गाता है- हम तो मोहब्बत करेगा, दुनिया से नहीं डरेगा, जूता पालिश करेगा, ठंडी आहें भरेगा, लैला लैला करेगा । एक ठग 1958 में दिल्ली में रहकर मोहब्बत कर रहा है और नेहरू उसे नहीं रोक रहा है । अगर वह उसी समय बुलडोज़र चलवा देता तो यह नौबत ही नहीं आती । और अब उसका पड़पोता यह राहुल जगह जगह मोहब्बत की दुकान खोलता फिर रहा है ऐसे में और क्या होगा ? लोग आज मोहम्मद से मोहब्बत कर रहे हैं कल किसी और से करने लगेंगे । राष्ट्र मोहब्बत से नहीं चलता। कठोर कानून से चलता है । अब बुलडोज़र से सुधार तो रहे हैं लेकिन 70 साल से बिगड़ा हुआ सिस्टम एक दिन में थोड़े ठीक होगा। टाइम तो लगेगा ।
हमने कहा- लेकिन मोहम्मद के जवाब में महादेव । ऐसे तो यह बीमारी दोनों तरफ ही बढ़ती चली जाएगी । जब शोर और नकल का जोर बढ़ता है तो उसका कोई अंत नहीं होता । बिना बात समाज-देश की ताकत, समय और संसाधन व्यर्थ खर्च होते हैं ।
बोला- लेकिन उत्तर न देने से तो लोगों की हिम्मत बढ़ जाएगी । कल किसी और को मोहब्बत करने लेगेंगे । सरकार तो अपना काम करेगी ही लेकिन हमें भी कम से कम टी शर्टें तो छपवानी पड़ेंगी ।
हमने कहा- इसका एक मितव्ययी तरीका हो सकता है । एक संक्षिप्त टी शर्ट छपवा लेनी चाहिए । जिसमें आई, उसके बाद दिल और अंत में एम । हो गया काम । कुछ भी अर्थ हो सकता है- आई लव मोहम्मद, आई लव महादेव, आई लव महावीर, आई लव महाकाल, आई लव मोदी, आई लव मनी, आई लव मिठाई, आई लव माइसेल्फ़ कुछ भी ।
बोला- यह हुई ना राष्ट्रीय ‘आर्टिफिसियलल इंटेलीजेंस’ । मैनी इन वन । इससे टीशर्ट और टैटू के घरेलू उद्योग में उछाल आने से अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी ।