बात बेबात
राजीव प्रताप रूडी का नया “डायनेस्टी सूत्र
विजय शंकर पांडेय
बिहार की राजनीति में निशांत कुमार की संभावित एंट्री पर ज्ञान की ऐसी बाढ़ आई है कि गंगा भी गंगा नहाने की सोचने लगें। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने नया “डायनेस्टी सूत्र” खोज निकाला—इंजीनियर का बेटा इंजीनियर, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, आईएएस का बेटा आईएएस, तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं? तर्क इतना सरल है कि सवाल पूछना भी राष्ट्रविरोधी लगने लगे।
लेकिन समस्या यह है कि यह फार्मूला क्या सिर्फ अपनों लोगों पर लागू होता है। बाकी पर नहीं। अलमारी खुलती है तो सिर्फ अपने लिए। जैसे ही राहुल गांधी, अखिलेश यादव या तेजस्वी यादव वगैरह का नाम आता है, वही फार्मूला अचानक “परिवारवाद का वायरस” बन जाता है। तब इंजीनियर का बेटा इंजीनियर नहीं, बल्कि “वंशवाद का उत्पाद” कहलाने लगता है।
अव्वल तो भारतीय नागरिक होने के नाते निशांत कुमार के भी सारे अधिकार सुरक्षित है। ऐसा नहीं है कि एनडीए में परिवारवाद नहीं है, यह बात दीगर है कुछ लोगों को दिखता नहीं। ठीक वैसे ही जैसे नमक—खाने में। मंत्री जी का बेटा राजनीति में आए तो “संघर्षशील युवा”, मुख्यमंत्री जी का बेटा आए तो “स्वाभाविक उत्तराधिकारी”, लेकिन विपक्ष का बेटा आए तो “लोकतंत्र का खतरा”।
असल में समस्या बेटों से नहीं, सरनेम से है। अपना सरनेम संस्कारी है, बाकी सब वंशवादी। यही है भारतीय राजनीति का नया गणित—जहाँ दो जोड़ दो कभी चार होते हैं, कभी देशद्रोह।

लेखक – विजय शंकर पांडेय
