कविता
कैसे कमल, गुलाब भगत जी
रमेश जोशी
हड्डी हुआ कबाब भगत जी
खाना हुआ खराब भगत जी
एक कुफ्र है और एक में
मिलता बड़ा सबाब भगत जी
घूँघट में तो संस्कार है
मगर हिजाब खराब भगत जी
राष्ट्र, धर्म के अच्छे दिन है
पूरा करें हिसाब भगत जी
केवल कीचड़ है, काँटे हैं
कैसे कमल-गुलाब भगत जी
