ओमप्रकाश तिवारी की एक कविता
चलते चलते थक गया हूं
कुछ वक्त आराम कर लूं
जो नहीं चाहते हैं बात करना
उनसे कुछ पल गुफ़्तगू कर लूं
मिज़ाज उनका बहुत रईसी है
जन के हालात पर बात कर लूं
साथ चलना उन्हें गंवारा नहीं
कहिए तो क़दमताल कर लूं
रुख्सत करते हैं वे बेआबरू कर
तो उनके ही कूचे में घर बना लूं