कविता
सत्ता झूठी है!
मंजुल भारद्वाज
ये बच्चा
सच्चा है
पर भूखा है !
इसे उम्मीद है
इसके हाथ के
तिरंगे बिकेंगे
और
भर पेट खाना मिलेगा !
आज तिरंगे की
यही कहानी है
सत्ता की जुबान
और
शान झूठी है !
अमीरों की आज़ादी है
बाकी बर्बाद आबादी है !
पाखंडियों के हाथ तिरंगा
एक झूठा फ़साना है !
हर घर तिरंगा
नारा देने वाला
झूठा है
हर भूखा पेट भरने वाला
सच्चा है !
स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी
आजादी की अमर कहानी है !
सत्य,अहिंसा और न्याय
अब भी सूली पर हैं !
झूठ , पाखंड , हिंसा
चंदा वसूली पर हैं !
बच्चा
सच्चा है
उसकी भूख
सच्ची है
उसकी उम्मीद ?
कवि- मंजुल भारद्वाज