‘न्यूजक्लिक’ के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को यूएपीए मामले में रिहा करने का आदेश

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को न्यूज़क्लिक के मानव संसाधन विभाग ()के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को चीन समर्थक प्रचार प्रसार के लिए धन प्राप्त करने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज मामले में हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने चक्रवर्ती की सेहत पर विचार करते हुए आदेश पारित किया और कहा कि अभियोजन पक्ष को याचिकाकर्ता की हिरासत से रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि वह मामले में सरकारी गवाह बन गया है और माफी दे दी गई है।

उच्च न्यायालय ने जनवरी में मामले में सरकारी गवाह बन गए चक्रवर्ती की याचिका पर अपना आदेश तीन मई को सुरक्षित रख लिया था। चक्रवर्ती के वकील ने तब अदालत को सूचित किया था कि मामले में आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और याचिकाकर्ता, सरकारी गवाह बनने के बाद, अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में उद्धृत किया गया है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह अदालत निर्देश देती है कि याचिकाकर्ता को 25,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने पर रिहा किया जाए, जो संबंधित अधीनस्थ अदालत की संतुष्टि पर निर्भर करेगा।’’

अदालत ने कहा कि इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक सरकारी गवाह को हिरासत में रखने का एक उद्देश्य उसे क्षमा की शर्तों से पीछे हटकर अपने पूर्व मित्रों और साथियों को बचाने के प्रलोभन से रोकना है।

अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि, यह भी विवाद में नहीं है कि यदि याचिकाकर्ता क्षमा की शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, जैसे अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में मुकदमे के दौरान गवाही देने में असफल होना, या सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए अपने बयान के विपरीत गवाही देना क्षमादान के समय या वास्तविक और सही तथ्यों का खुलासा नहीं करने या जानबूझकर वास्तविक तथ्यों को छिपाने पर सीआरपीसी की धारा 308 लागू होगी और याचिकाकर्ता पर उस अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाएगा, जिसके संबंध में उसे क्षमादान दिया गया था। इसके अलावा उसपर झूठे साक्ष्य देने का मामला भी चलेगा।’’

अदालत ने रेखांकित किया कि चक्रवर्ती 59 प्रतिशत स्थायी दिव्यांग हैं और अपने दैनिक आवागमन के लिए व्हील चेयर पर निर्भर हैं।

दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा था कि अगर उन्हें राहत दी जाती है, तो अभियोजन पक्ष को कोई आपत्ति नहीं है।

चक्रवर्ती के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल को निचली अदालत ने मामले में माफी दे दी है और वह जांच में सहयोग भी कर रहे हैं।

दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को पिछले साल तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

प्राथमिकी के मुताबिक, समाचार पोर्टल को बड़ी मात्रा में धन चीन से ‘‘भारत की संप्रभुता को बाधित करने’’ और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए आया था।