कविता
छुट्टी के लिए आवेदन का मजमून
ओमप्रकाश तिवारी
महोदय
आज काम करने का
मूड नहीं है
बच्चे की उंगली पकड़ कर
घूमना चाहता हूं
करना चाहता हूं
पत्नी से गुफ्तगू
माता-पिता से भी
फोन पर ही सही
करना चाहता हूं
लंबी बातचीत
भूल जाना चाहता हूं
खुद को और खुदी को
दफ्तर और काम को
आदमी और समाज को
कोई गीत
कोई कविता
कोई गजल
गुनगुना चाहता हूं
क्या छुट्टी मांगने वाले
किसी आवेदन का
ऐसा मजमून नहीं हो सकता?