ओमप्रकाश तिवारी की कविता – सवाल

सवाल

ओमप्रकाश तिवारी

सवाल

एक शब्द है

पर मायने कई हैं

सवाल से ही

मिलता है जवाब

जवाब से ही

तय होती है

जवाबदेही

बचता है जो

सवाल से

डरता है

जवाब से

जवाब देगा एक

सवाल होंगे अनेक

सवाल खोजेंगे सत्य

जवाब मिलेगा

असत्य के आवरण में

जैसे जैसे सच

रहस्य के घेरे में

होता जाता है

सवाल तीखा

होता जाता है

ऐसे में सवाल

हो जाएंगे धारदार

फिर जवाब मिलेंगे

बहुत खतरनाक

सवाल करने वाले से ही

किया जाएगा सवाल

जवाब में लगाए जाएंगे

विभिन्न इल्जाम

डिजिटल गैंग के

मनोरोगी गुर्गे

टूट पड़ेंगे

आभासी दुनिया में

उलीच देंगे

अपने दिमाग की

समूची गन्दगी

सवाल फिर भी

बना रहेगा सतत

आभासी दुनिया से

निकल कर एक दिन

फैल जाएगा

समूची फिजा में

गूंजने लगेगा ऐसे

जैसे किसी घाटी में

गूंजती है आवाज

यकीन मानिए

जब सवालों के

नहीं मिलते

कोई जवाब

तब सवाल ही

बन जाते हैं

मुकम्मल जवाब।

……..