फोटो: खबर गांव से साभार
बिहार विधानसभा चुनाव
ज्ञान नहीं, जुबान ही पहचान
विजय शंकर पांडेय
जनता दल (यू) प्रत्याशी अनंत सिंह ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी — और वो भी इतने स्टाइल में कि पूरा सिलेबस ही बदल गया। उनका कहना है, “हम कभी स्कूल नहीं गए, वरना नौकरी करनी पड़ती। विधायक में अनपढ़ को रख लेते हैं।” वाह! यह तो लोकतंत्र का असली ‘करियर काउंसलिंग’ है।
अब बच्चों के लिए नया मोटिवेशनल पोस्टर बनेगा – “पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे अफसर, नहीं पढ़ोगे तो बनोगे विधायक।”
अनंत सिंह ने एक साक्षात्कार में आगे बताया कि वे 11 साल की उम्र में ही जेल गए — मतलब, बाकी बच्चे जब टिफिन में पराठा लपेट रहे थे, तब वे जेल में ‘राजनीतिक प्रशिक्षण’ ले रहे थे। 40 साल से राजनीति में सक्रिय हैं, यानी अनुभव में PhD और डिग्री में ‘NA’।
देश की शिक्षा नीति अब सोच रही है कि स्कूलों की जगह सीधे “विधानसभा प्ले स्कूल” खोले जाएं — जहां पहले पीरियड में बहस, दूसरे में धरना, और तीसरे में जमानत का फार्म भरना सिखाया जाएगा।
सच में, अनंत सिंह जैसे लीडर साबित करते हैं कि ज्ञान नहीं, जुबान और जमानत ही असली पहचान है!

 
			 
			 
			