- चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव, एम एस स्वामीनाथन के साथ अब तक 53 हस्तियों को मिल चुका है भारत रत्न
आलोक वर्मा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी और उनके साझीदार दलों के नेता और मीडिया जितने भी दावे कर लें कि भाजपा नीत एनडीए इस बार 400 पार सीटें हासिल करेगी, लेकिन प्रधानमंत्री के ताबड़तोड़ फैसले उसकी गवाही नहीं देते। कहीं न कहीं उनके डर को प्रदर्शित करते हैं। तो क्या कहा जाए कि नरेंद्र मोदी आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त नहीं दिखते? इसीलिए वे कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते।
अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (उद्घाटन) पर कहा जा रहा था कि भाजपा के पक्ष में आंधी चल रही है, लेकिन मोदी के बाद के कदमों से तो ऐसा लगता नहीं है। नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन से तोड़ने के लिए वैचारिक रूप से धुर विरोधी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया और अब पूर्व प्रधानमंत्रियों चौ.चरण सिंह, नरसिम्हा राव और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न की प्रदान करने की घोषणा की है। चरण सिंह को भारत रत्न देकर पश्चिमी यूपी में चुनावी गणित को ठीक करने की कोशिश कर रहे है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने पर उनके पौत्र जयंत की जो प्रतिक्रिया आई है उससे आभास होता है कि जयंत और भाजपा के बीच समझौते की एक कड़ी यह भी रही हो सकती है। चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद जब जयंत से जब पूछा गया कि एनडीए से गठबंधन पर आप क्या कहना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि अब बचा क्या है। मोदी जी ने दिल जीत लिया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस समझौते ही अंतिम कड़ी चौ चरण सिंह को भारत रत्न देना ही रहा होगा। एक और भी रोचक तथ्य है कि इस बार सबसे अधिक पांच लोगों को भारत रत्न देकर नरेंद्र मोदी ने रिकार्ड कायम कर दिया है। इससे पहले, 1999 में चार शख्सियतों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर नाराज जाट वोटरों को मनाना भी है जो किसान आंदोलन और महिला पहलवानों से दुर्व्यवहार के कारण भाजपा से नाराज चल रहे हैं। जिनका सबसे अधिक असर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। पी वी नरसिम्हा राव के प्रति भाजपा और नरेंद्र मोदी की सदाशयता के मायने तो समझ में आती है। माना जाता है कि पी वी नरसिम्हा और सोनिया गांधी बीच हमेशा मतभेद रहा, इसलिए भाजपा कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती जिससे कांग्रेस खासतौर पर गांधी परिवार को नुकसान हो। यह भी रणनीति हो सकती है कि कि नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने से दक्षिण भारत के खासतौर पर तेलंगाना के मतदाताओं को पक्ष में किया जा सकता है क्योंकि इस समय केंद्र सरकार पर दक्षिण भारत के राज्य नाराज चल रहे हैं और पक्षपात का आरोप लगाते हुए दिल्ली में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री वी नरसिम्हा राव और ‘हरित क्रांति के जनक’ एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले से देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वालों की संख्या 53 हो गई है । अभी कुछ दिन पहले ही जननायक कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पी वी नरसिम्हा राव और मशहूर वैज्ञानिक व देश में ‘हरित क्रांति के जनक’ डॉ एम एस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता चौधरी चरण सिंह ऐसे समय में कांग्रेस विरोधी राजनीति की धुरी के रूप में उभरे थे, जब देश भर में पार्टी का वर्चस्व था। नरसिम्हा राव को आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है।
प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे 1960 और 1970 के दशक के दौरान पूरे भारत में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उन्हें चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करने और भारतीय कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास करने का श्रेय दिया जाता है।
पिछली बार, 2019 में भारत रत्न सम्मान प्रणब मुखर्जी और मरणोपरांत भूपेन्द्र कुमार हजारिका और नानाजी देशमुख को प्रदान किया गया था। 2020 से 2023 के बीच यह सम्मान किसी को नहीं दिया गया।भारत सरकार ने 1954 में दो नागरिक पुरस्कार-भारत रत्न और पद्म विभूषण – की शुरुआत की थी। पद्म विभूषण की तीन श्रेणियां थीं-पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग। बाद में आठ जनवरी, 1955 को राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के माध्यम से इनका नाम बदलकर पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री कर दिया गया।भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह समाज के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर के प्रदर्शन को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है।
भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को सिफारिश की जाती है। इस पुरस्कार के लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की आवश्यकता नहीं है।यह सम्मान 2019, 1997, 1992, 1991, 1955 और 1954 सहित कई अवसरों पर एक वर्ष में तीन व्यक्तियों को दिया गया था। 2015, 2014, 2001, 1998, 1990, 1963 और 1961 सहित कई अवसरों पर यह दो व्यक्तियों को दिया गया, जबकि ऐसे वर्ष भी रहे हैं जब यह सम्मान किसी को भी प्रदान नहीं किया गया था।
सबसे पहले यह सम्मान सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और चंद्रशेखर वेंकटरमन को प्रदान किया गया था।बाद में जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, जाकिर हुसैन, लाल बहादुर शास्त्री, अबुल कलाम आजाद, इंदिरा गांधी, के. कामराज, मदर टेरेसा, विनोबा भावे, एम.जी. रामचंद्रन, बी.आर. आंबेडकर, नेल्सन मंडेला, राजीव गांधी, वल्लभभाई पटेल, मोरारजी देसाई, सत्यजीत राय, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जयप्रकाश नारायण, अमर्त्य सेन, सचिन तेंदुलकर, अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय शामिल हैं।
इसके अलावा, भगवान दास, एम. विश्वेश्वरैया, गोविंद बल्लभ पंत, डी. केशव कर्वे, बिधान चंद्र रॉय, पुरुषोत्तम दास टंडन, पांडुरंग वामन काणे, वराहगिरि वेंकट गिरि, खान अब्दुल गफ्फार खान, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, गुलजारी लाल नंदा, बिस्मिल्ला खान, एम. एस सुब्बुलक्ष्मी, गोपीनाथ बारदोलोई, पंडित रविशंकर, सी.एन.आर. राव, भीमसेन गुरुराज जोशी, लता मंगेशकर, चिदंबरम सुब्रमण्यम और अरुणा आसफ अली को भी भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।सम्मान के तहत राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। सम्मान में कोई धनराशि नहीं दी जाती है।