मुनेश त्यागी का गीत- वो  सुबह  हमीं  से आएगी

 गीत

 वो  सुबह  हमीं  से आएगी

मुनेश त्यागी

 

जब अन्याय सब मिट जाएंगे

जब सब शोषण मिट जाएंगे

जब भेदभाव सब मर जाएंगे

जब सारे जुल्म मिट  जाएंगे

वो सुबह हम ही से  आएगी

उस सुबह को हम ही लायेंगे

जब अमीरी और गरीबी मिट जाएगी

जब बंधुता और एकता छा जाएगी

जब भूख और नग्नता मिट जाएगी

जब सब ओर सुंदरता छा जाएगी

वो सुबह हम  ही  से  आएगी

उस सुबह को हम ही लायेंगे।

जब दिल रोशन हो जाएंगे

जब अंधेरे सारे मिट जाएंगे

जब हिंदू मुसलमान साथ चलेंगे

जब जन गण मन मिल जाएंगे

वो  सुबह  हम ही से  आएगी

उस सुबह को हम ही लायेंगे।

जब जनता का जनतंत्र आ जाएगा

जब गण को गणतंत्र भा जाएगा

जब अमीरवाद ढह जाएगा

जब समाजवाद आ जाएगा

वो सुबह हम ही से आएगी

उस सुबह को हम ही लायेंगे।

जब सब मिल बांटकर खाएंगे

सारे जुल्मों सितम मिट जाएंगे

जब किसान मजूर मिल जाएंगे

जब लोग क्रांति क्रांति गायेंगे

वो सुबह हम ही से आएगी

उस सुबह को हम ही लायेंगे।

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