व्यंग्य
बिग ब्रेकिंग : सरकार ने बनाया रोज़ी रोटी छीनो विभाग, मंत्री पद के लिए मांगे आवेदन!
महेश राजपूत
सूत्रों के हवाले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है! सरकार ने एक नया विभाग बनाया है, रोज़ी रोटी छीनो विभाग और इस विभाग के लिए मंत्री पद के लिए आवेदन मंगाए हैं।
सूत्रों की मानें तो और क्यों नहीं मानें क्योंकि यह अंदरखाने से आ रही पुष्ट खबर है कि कई मौजूदा मंत्री भी अपना विभाग बदलकर इस विभाग के मुखिया बनने के लिए लालायित हैं। वैसे किसी नए चेहरे को भी चांस मिल सकता है।
बस, क्वालीफिकेशन के तौर पर अनुभव होना चाहिए कि आपने कामरा जैसे किसी देशद्रोही कॉमेडियन की दुकान बंद करा दी हो, मोहन लाल जैसे किसी एजेंडा फिल्मकार/कलाकार पर छापे डलवाकर उसकी फिल्म कंपनी तबाह कर दी हो। रविश जैसे किसी पक्षपाती पत्रकार की चैनल से नौकरी छुड़वाकर उसे यूट्यूबर बनने पर मजबूर कर दिया हो। आदि आदि।
दरअसल, पिछले एक दशक से चल रही ईज़ ऑफ शटिंग डाउन बिज़नेस नीति को बड़े पैमाने पर और सुचारू, सुव्यवस्थित और कानूनी तरीके से लागू करने के लिए ही यह विभाग बनाया गया है।
विभाग के मंत्री पद के एक प्रबल दावेदार ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर एक विस्तृत प्रस्ताव योजना बनाकर ऊपर दे दी है। इसके तहत उन संस्थानों को इंसेंटिव दिया जाएगा जो ज़्यादा से ज़्यादा “वैसे” लोगों की रोज़ी रोटी छीनेंगे और जो नहीं मानेंगे तो उन्हें जुर्माने से लेकर संस्थान बंद करने तक पर मजबूर किया जाएगा। उन्होंने यहां तक दावा किया कि अदालतें इन मामलों में कुछ नहीं कर पाएंगी क्योंकि यह सब सरकार के नीतिगत निर्णय के तहत और कानूनन होगा यानी अदालती हस्तक्षेप से परे होगा।
इस सवाल के जवाब में कि लेकिन यह सब करने की जरूरत क्या है जब वैसे भी बिना विभाग के चाहे जिसकी रोज़ी रोटी छीनी ही जा रही है, उन्होंने कहा कि यह सही है कि बिना नीति, विभाग बनाए भी यह काम हो रहा है और त्योहारों के नाम पर मांस की दुकानों को बंद कराने से लेकर नाम न लिखने के बहाने सब्ज़ियों, फलों की रेहड़ी पटरी भी पलटी जा रही हैं लेकिन उससे शोर मचता है और कभी कभी हमें पीछे भी हटना पड़ता है। जैसे विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्री बेघर बनाओ योजना के तहत बुलडोजर चलाने के लिए अतिक्रमण होने का बहाना लगाना पड़ता है। विभाग बनाने, कानून बनाने से किसी बहाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिसकी चाहे हम रोज़ी रोटी छीन सकते हैं।
पर रोज़ी रोटी छीननी ही क्यों है, सवाल पर वह भड़क गए और कहा, कर दी न देशद्रोहियों वाली बात। आप समझते नहीं हैं, कलाकार हो या पत्रकार या फिर बुद्धिजीवी, या फिर जनता को ही ले लें, पेट भरा हो तो क्रांति सूझती है। पेट खाली हो तो वह अपने आप लाइन पर आ जाएगा और सिर्फ और सिर्फ किसी तरह अपना पेट भरने की सोचेगा। है कि नहीं? पर यह सारी बातें लिखनी नहीं हैं, ठीक है? आप खबर के लिए सरकारी विज्ञप्ति आने का इंतज़ार करें वरना फेक न्यूज फैलाने के आरोप में आपकी नौकरी भी छीन ली जाएगी। समझे?