हम क्रांति का नवगान बनें
इस अंधकार के मौसम में
हम चंदा तारे दिनमान बनें,
नफरत से भरे इस माहौल में
हम होली और रमजान बनें।
वैज्ञानिक सोच में वृद्धि हो
धनिया सुखिया की बात चलें,
बेटी बहुओं को मान मिले
और मातृ पितृ सम्मान बढ़े।
हिंदू-ओ-मुसलमां साथ चलें
और भाईचारे की बात बने,
जनता का खून जो पीते हैं
हम ऐसे ना धनवान बनें।
हिंसा के पुजारी ठहरे वो
हम अमन के पहरेदार बनें,
रोजी-रोटी और शिक्षा की
गारंटी का संविधान बने।
उसे माहौल की बात करें
जहां मेलजोल की राह बने,
जन मुक्ति के सपने देखें
हम क्रांति का नवगान बनें।