खरगे का दावा, मोदी, शाह को तीसरा कार्यकाल मिला तो दलित, आदिवासी फिर से गुलाम बन जाएंगे

महाराष्ट्र के धुले में एक चुनावी रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तीसरे कार्यकाल का मतलब गरीबों, दलितों और आदिवासियों के साथ “गुलामों की तरह व्यवहार” होगा।

खरगे ने कहा कि मोदी पर काला धन वापस लाने और नौकरियां प्रदान करने के अपने वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि आजादी से पहले गरीबों, दलितों और आदिवासियों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था। यदि आप मोदी और शाह को तीसरा कार्यकाल देंगे तो वही स्थिति दोहरायी जाएगी। हम फिर से गुलाम बन जायेंगे।

कांग्रेस ने धुले लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष भामरे के खिलाफ पूर्व विधायक शोभा बच्चव को मैदान में उतारा है। धुले लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान होगा।

खरगे ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 2015 में कहा था कि संविधान को बदला जाना चाहिए। बाद में, भाजपा के कई सांसदों और पार्टी नेताओं ने भी इसी तरह के बयान दिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर ”झूठ फैलाने” का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि मोदी ने सीना ठोक कर कहा था कि विदेशों से काला धन वापस लाएंगे लेकिन कभी अपना ये वादा पूरा नहीं किया।

खरगे ने कहा कि उन्होंने (मोदी) हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का दावा किया, लेकिन कभी दी नहीं। उनके दावों के अनुसार, किसानों की आय बढ़ने के बजाय, उनकी गलत नीतियों के चलते किसानों की उत्पादन लागत बढ़ गई। इसलिए मोदी को सत्ता से हटाया जाना चाहिए।

उन्होंने मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण सामाजिक अशांति का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, “जब मणिपुर के लोग इतनी पीड़ा झेल रहे थे, तब मोदी ने इसके बारे में एक भी शब्द नहीं बोला। वह कायर हैं जो वहां गए भी नहीं। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने वहां से अपनी न्याय यात्रा शुरू की और लोगों से संवाद भी किया।”

कांग्रेस नेता खरगे ने कहा, “मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने जो किया वह ‘सबका सत्यानाश’ है।”

खरगे ने कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में सभी 30 लाख खाली पद भरेगी। उन्होंने आरोप लगाया, “मोदी ने इन रिक्तियों को इसलिए नहीं भरा क्योंकि ऐसा करने का मतलब आरक्षण लागू करना होता। वह नहीं चाहते थे कि अधिक दलितों और पिछड़े समुदायों को नौकरियां मिले।”