दिल को छूने वाली और प्रेरक प्रसंग कहानियां 

दिल को छूने वाली और प्रेरक प्रसंग कहानियां

 

पुस्तक -मां का जन्मदिन ( बाल कहानियां)

प्रकाशन -नोशन प्रैस पब्लिकेशन हाउस, चेन्नई भारत

लेखिका- अनुष्का शर्मा

पुस्तक समीक्षा – मनजीत सिंह

क़ीमत -150 रूपए

पृष्ठ संख्या -49

 

 

यह किताब मां का जन्म दिन बाल कहानियो की है मैं इस की पुस्तक समीक्षा कर रहा हूं मुझे अच्छा लगता है कि हमारे आगे आने वाली पीढी तैयार हो रही है । मेरी बेटी अनुष्का शर्मा द्वारा लिखी किताब है ।

 

जब हम बाल कहानियों में रस्किन बॉन्ड की किताबों की बात करते हैं, तो हमारे मन में हरी-भरी प्रकृति, पहाड़ और एक खूबसूरत गांव का इलाका याद आता है। ठीक उसी तरह की कहानी है बड़ी खूबसूरत बैकग्राउंड के साथ-साथ दिलचस्प कहानियां भी हैं। हालांकि अनुष्का शर्मा भी बाल साहित्य के लिए मशहूर होने वाली हैं, लेकिन इनकी किताबें बड़ों को भी उतनी ही दिलचस्प लगती हैं। हमें बाल कहानियां , कविता आदि पुस्तक के लिए ऐसी ही एक किताब मिली।

 

जब मैंने चला कि मैंने अनुष्का शर्मा की किताब बाल कहानियां की मिली तो मुझे पता था कि इसमें पढ़ने के लिए शानदार कहानियों का खजाना है। इस किताब में 13 कमाल की कहानियां हैं। कहानियां इतनी असली और शानदार हैं कि हमें उन्हें पढ़ने में बहुत मज़ा आया। शब्दकोश बहुत अच्छे से प्रयोग हैं और बहुत असली भी हैं।

 

कहानियां इतने असली तरीके से लिखी गई हैं, कि ऐसा लगता है जैसे कहानियां असल में हमारी आंखों के सामने हो रही हों।

 

मुझे इस किताब में सबसे ज़्यादा “चालू चिंकी चींटी” कहानी पसंद आई। मुझे यह इसलिए पसंद आया क्योंकि मुझे वह हिस्सा पढ़ना अच्छा लगा क्योंकि पिंकी और चिंकी दोनो चुगलखोर होती हैं।

नींद और सपना कहानी की कुछ पंक्तियां जो मुझे पसंद आई ‌।फ़कीर के साथ एक हट्टे-कट्टे व्यक्ति को देखकर सेठ ने उन्हें काम पर रख लिया। वे दोनों सेठ के कहे अनुसार काम करने लगे। जैसे ही दिन समाप्त हुआ. सेठ ने उन्हें उनकी दिहाड़ी दे दी। राजा और फ़क़ीर दोनों ही बहुत थक गए थे और रात भी हो गई थी। राजा को बहुत भूख भी लग रही थी। इसीलिए जो धन राजा ने दिन भर कड़ी मेहनत कर कमाया था, उससे उसने दाल-चावल खरीद लिए। दोनों को रात गुज़ारने के लिए एक टूटी-फूटी झोंपड़ी मिल गयी और दोनों वहां जाकर खाना खाकर सोने के लिए लेट गए।

 

राजा लेटते हुए सोचने लगा, ‘मुझे नहीं लगता कि मुझे आज भी नींद आएगी? फिर आज तो मैं अपने आरामदायक शयनकक्ष में भी नहीं हूँ, बल्कि एक झोंपड़ी में भूमि पर लेटा हुआ हूँ।’

 

राजा ने यह सोच कर अपनी आँखें बंद कर लीं, और जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो देखा कि अगला दिन हो चुका था, और सूरज आसमान में आ गया था। राजा बहुत खुश हुआ। फ़क़ीर राजा से पहले ही सोकर उठ गया था। राजा फ़क़ीर के पास जाकर बोला, “मुझे कल इतनी अच्छी नींद आई जो शायद ही कभी इतने बरसों में आई हो। मगर यह सब कैसे हुआ? मैंने अपने सपने के बारे में भी नही।

दिवाली के तोहफे से कुछ पंक्तियां

“अब यह बताओ कि जो तुम्हारे उपहारों की सूची है उनमें से क्या क्या तुम्हारी बुनियादी जरूरतें हैं?”

 

यह सुनकर अगस्त्य चुप हो गया। उसके पापा ने कहा, “तुम्हे साइकिल की जरुरत है वह तुम्हें ज़रूर लेकर देंगे। मगर यह सब विडियो गेम, फ़ोन वगैरह, इसकी तुम्हें अभी ज़रुरत नहीं। तुम्हें हमने सारी सुविधाएं दी हुई हैं। किसी चीज़ की कमी नहीं है तुम्हारे पास, मगर इन लोगों की तो बुनियादी ज़रूरतें ही पूरी नहीं होतीं। तुम्हें इसलिए जीवन में ज़रूरत से ज़्यादा चीजें चाहिए क्योंकि तुम अपने दोस्तों के पास वह चीजें देखते हो, या तुम अपने से अमीर लोगों के साथ अपनी तुलना करते हो। मगर जब तुम अपनी तुलना इन लोगों से साथ करोगे तब तुम्हें एहसास होगा कि तुम कितने भाग्यशाली हो?”

 

अगस्त्य ने अपनी तुलना जब स्लम में रह रहे लोगों से करनी शुरु की, तब उसे एहसास हुआ कि सचमुच उसके जन्मदिन के उपहारों की मार्गे फजूल हैं। उनमें से आधी से अधिक चीज़ों की तो उसे ज़रुरत भी नहीं है।

दिवाली कहानी से पंक्तियां

रोहन और उसकी माँ को मेले में देख सुनीता सोचने लगी, ‘रोहन कितना मेहनती लड़का है। सुबह स्कूल आता है और शाम को मेले में दीये बेचता है। जहाँ सुनीता व उसका परिवार सुविधाजनक जीवन जी रहे हैं, वहीं रोहन अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। जहाँ मेरी बेटी मेले में हर झूला झूली, पसंद का खिलौना भी लिया और खूब खाया पीया, उसी मेले में रोहन अपने परिवार की घर चलाने में सहायता कर रहा था।” बस यही सोचते-सोचते सुनीता को नींद आ गयी।

 

अगले दिन जब वह स्कूल आयी और रोहन की कक्षा में पहुंची तो उसने देखा कि रोहन स्कूल नहीं आया था। सुनीता ने रोहन के दोस्त प्रतीक से पूछा तो उसने बताया, “मैम, उसे घर में काम है, इसलिए वह आज नहीं आ सका।” स्कूल की जैसे ही छु‌ट्टी हुई सुनीता अपने घर न जाकर रोहन के घर चली गयी। वहां जाकर उसने देखा कि रोहन मिट्टी के दीये व घड़े, जो बाहर सूरज में सूख कर पक्के हो गए थे, को एक-एक कर एक जगह इकठ्ठा कर रहा था।

 

रोहन ने जैसे ही सुनीता को देखा तो वह काम छोड़कर अपनी अध्यापिका के पास आ गया और कहा, “मैम! आप यहाँ?”

 

रोहन के पिता, जो दीये बना रहे थे, वह भी रोहन के पास आ गए और बोले, ‘नमस्ते मैम! आप रोहन की गणित की अध्यापिका हो न, आप यहाँ? क्या रोहन अच्छे से पढ़ाई नहीं कर रहा?” इससे पहले सुनीता जवाब देती रोहन के पिता ही आगे बोल पड़े, “वो दरअसल दीवाली आने वाली है, और यही समय होता है हम कुम्हारों के थोड़े से ज्यादा पैसे कमाने का, और इसीलिए ही रोहन कुछ दिनों से स्कूल न जाकर घर पर मेरी मदद करा रहा था। मगर आप चिंता न करें, मैं कल से पक्का इसे स्कूल भेजूंगा।”

 

सुनीता ने रोहन के पापा से कहा, “आप परेशान न हों। रोहन एक होनहार व काबिल बच्चा है और अपना काम भी समय पर करता है। और इससे अच्छी क्या बात हो सकती है कि वह आपकी काम में मदद भी करता है। दरअसल मुझे आपसे कुछ काम था।”

सभी कहानियां अनुभव,मन,मां का जन्म दिन, मुझे इंसान बना दो,दावत-ए-गल्लू गधा,चालू चिंकी चींटी,शहर और गांव, नींद और सपना, जन्मदिन का तोहफा, दीवाली, ढिंढोरा, फुटबॉल मैच,भीख आदि पुस्तक में नीहित कहानियां लाजवाब और बहुत सुंदर शब्दों को गढ़ा है। अनुष्का शर्मा को मेरी तरफ से बधाई।

समीक्षक मनजीत सिंह

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