कैलाश मनहर की गजल
–लफ़्ज़ हर धारदार हो अब तो |
सीधा दुश्मन पे वार हो अब तो ||
तोड़ पर बात अब तो ले आयें,
ख़त्म यह इन्तज़ार हो अब तो ||
अब तो आयें उफान पर सड़कें,
हरेक रस्ते पे ज्वार हो अब तो ||
मुल्क में इन्क़लाब की ख़ातिर,
हर कोई बेकरार हो अब तो ||
नींद अब तो खुले ख़ुदाओं की,
शोरगुल बेशुमार हो अब तो ।।

रमेश जोशी और कैलाश मनहर दोनों वरिष्ठ शायरों/कवियों की बेहतरीन रचनाएं (ग़ज़ल) उपलब्ध करवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।