कुकी और मेइती को भौगोलिक रूप से अलग किया जाना भारत के मूल विचार के खिलाफ: अकोइजाम

इंफाल।

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार ए. बिमल अकोइजाम ने कहा है कि हिंसाग्रस्त मणिपुर में “सुरक्षा” के नाम पर कुकी और मेइती समुदाय के लोगों को भौगोलिक रूप से अलग किया जाना भारत के “मूल विचार” के खिलाफ है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विद्यालय के एक एसोसिएट प्रोफेसर, अकोइजाम ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक दोनों समुदाय देश के नागरिक बने रहेंगे, उन्हें एक साथ रहना और काम करना होगा।

अकोइजाम (57) की यह टिप्पणी मणिपुर में कुकी-जो समुदाय की एक अलग प्रशासन की मांग के बीच आयी है।

मणिपुर में हिंसा की तुलना “रवांडा जैसे जातीय संघर्ष” से करते हुए अकोइजाम ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में स्थिति को जानबूझकर बिगड़ने दिया और दावा किया कि इसके पीछे कुछ निहित स्वार्थ है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, “जिस तरह की स्थिति हम देख रहे हैं…हमें विश्वास नहीं होता कि भारत जैसे स्थापित लोकतंत्र में ऐसा हो सकता है…यह लगभग एक जातीय संघर्ष जैसा लगता है, जैसे उदाहरण के लिए रवांडा में हुआ, इसे इतने लंबे समय तक होने दिया गया… इसलिए जनजीवन सामान्य होने में लंबा समय लगेगा।”

इनर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ रहे अकोइजाम ने कहा, “जब भारत जैसा बहु-सांस्कृतिक और बहु-जातीय देश कहता है कि कुकी और मेइती भौगोलिक, भावनात्मक और दूसरी तरह से अलग हो गए हैं, तो यह पूरी तरह से बकवास है। यह कहना भारत के मूल विचार के विरुद्ध है कि कुकी और मेइती एकसाथ नहीं रह सकते।”

उन्होंने कहा, “अगर सिखों पर हमला हुआ…तो आपने उस इलाके की रक्षा करने की कोशिश की, जहां एक खास समुदाय रहता था। मुझे इस बात पर बहुत संदेह है कि उन्होंने सुरक्षा के नाम पर लोगों को इस तरफ से उस तरफ और उधर से इधर स्थानांतरित करना क्यों शुरू कर दिया।”

उन्होंने कहा, “मैं इसे भारत सरकार की अक्षमता मानता हूं जिसने स्थिति बिगड़ने दी। मुझे संदेह है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है। यह भारत सरकार की अक्षमता ही नहीं है, यह कार्रवाई करने की अनिच्छा है। मुझे संदेह है कि इसके पीछे कोई निहित स्वार्थ है।”

मणिपुर में पिछले साल 3 मई से बहुसंख्यक मेइती समुदाय और कुकी के बीच छिटपुट, कभी-कभी तीव्र, जातीय झड़पें देखी गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मेइती अब इंफाल शहर में केंद्रित हैं जबकि कुकी पहाड़ियों में चले गए हैं।

मणिपुर की दो लोकसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होगा। इनर मणिपुर और आउटर मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा, जबकि आउटर मणिपुर के शेष क्षेत्रों में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होगा।

मेइती के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग पर कांग्रेस के रुख के बारे में पूछे जाने पर, अकोइजाम ने कहा, “इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए और मैं यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से प्रयास करूंगा कि यह प्रक्रिया अन्य समुदायों को नुकसान पहुंचाए बिना की जाए।

अकोईजाम का मुकाबला भाजपा के थौनाओजम बसंत कुमार सिंह से है, जो राज्य के कानून और शिक्षा मंत्री भी हैं। स्थिति से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में पूछे जाने पर अकोइजाम ने कहा, “विमर्श बदलें”।

उन्होंने कहा “उठाए जाने वाले कदमों में से एक है विमर्श को बदलना। यही कारण है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में, हमारे पास ‘सुलह’ शब्द है। एक ऐसे समाज में, जो टूटा हुआ है और जहां अंतर-सामुदायिक रिश्तों में मनमुटाव है, आपको सुलह की जरूरत है… मेरा कदम मेल-मिलाप की इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का होगा।” कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए आरक्षित आउटर मणिपुर सीट से विधायक अल्फ्रेड के आर्थर को मैदान में उतारा है। भाजपा ने बाहरी मणिपुर सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है और वह नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के उम्मीदवार कचुई टिमोथी जिमिक को समर्थन दे रही है।