वकील और महान क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो
मुनेश त्यागी
वैसे तो दुनिया में बहुत सारे क्रांतिकारी वकील हुए हैं जैसे कार्ल मार्क्स, व्लादिमीर इल्यिच लेनिन और नेल्सन मंडेला जिन्होंने दुनिया में क्रांति और समाजवादी विचारधारा को जन्म दिया और परिभाषित किया, जिनकी वजह से दुनिया के अनेक देशों में क्रांतियां हुईं और किसानों मजदूरों की समाजवादी सरकार ने बनीं। इन्हीं में से एक थे क्यूबा के महान क्रांतिकारी और समाजवादी वकील फिदेल कास्त्रो। फिदेल कास्त्रो का क्यूबा की क्रांति में और क्यूबा में समाजवाद को बढ़ाने और बनाए रखने में सबसे बड़ा हाथ था। फिदेल कास्त्रो ने अपने जीवन की शुरुआत वकालत से शुरू की थी और मजदूर और गरीबों के केस लेने को, लड़ने को महत्व दिया था मगर धीरे-धीरे बदलते हालातों की वजह से वे धीरे-धीरे वामपंथी विचारों से प्रभावित होते चले गए और अपने गहन और निरंतर अध्ययन और परिस्थितियों के मुताबिक, मार्क्सवाद लेनिनवाद की तरफ मुड़ गए। फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा में एक क्रांतिकारी, एक प्रधानमंत्री, एक राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और “कमांडर” के रूप में बहुत सारे काम किए हैं, बहुत सारे विचार जनता के सामने रखे हैं और क्यूबा की जनता को समाजवादी और क्रांतिकारी सोच का वाहक बनाया है। उन्होंने अपने निरंतर लेखन, भाषणों और विचारों से दक्षिणी अमेरिका की जनता को बहुत ज्यादा प्रभावित किया, जिस कारण दक्षिणी अमेरिका के अनेक देश मार्क्सवाद और लेनिनवाद की समाजवादी शरण में चले गए।
वे क्रांति को एक कला और राजनीति दोनों बताते हैं। उनके अनुसार आदमी और मानव जाति में सच्चा विश्वास करने वाला ही एक सच्चा क्रांतिकारी हो सकता है। उनका कहना था कि जनता के सहयोग से सब कुछ जीता जा सकता है। फिदेल कास्त्रो एक दार्शनिक, एक कर्मयोगी, एक सिद्धांतकार और एक जनसेवक क्रांतिकारी थे। उनका मानना था कि असली क्रांति सत्ता पर कब्जा करने से होती है और श्रेष्ठ विचार ही, दुनिया को बेहतर, न्यायी और भाईचारे से भरी हुई, बना सकते हैं।
फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा के अपने क्रांतिकारी युद्ध के दौरान ही अपने क्रांतिकारी साथियों के सामने उनके एक सवाल पर घोषणा की थी कि अगर वे क्रांति सफल होने के बाद, सत्ता में आते हैं और उनकी सरकार बन जाती है तो वे अपने पिता की 1,15, 600 बीघा जमीन का राष्ट्रीयकरण कर देंगे। उनकी की हुई घोषणा का ही कमाल देखिए कि उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था और हकीकत देखिए कि क्यूबा में उनके द्वारा की गई क्रांति के बाद जब कास्त्रो सत्ता में आए तो उनकी सरकार ने और उन्होंने अपने पिता की 1,15,600 बीघा जमीन का राष्ट्रीयकरण कर दिया और उसे भूमिहीन किसानों में बांट दिया। उनके इस क्रांतिकारी महान कारनामें की वजह से उनके माता-पिता, उनकी बहन और उनके दो भाई, उनके खिलाफ दुश्मनी की अवस्था तक पहुंच गए, मगर महान और सच्चे क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो ने अपने क्रांतिकारी कदम वापस नहीं खींचे और क्रांति के दौरान अपने क्रांतिकारी साथियों को दिए गए वचन को पूरा किया और अपने पिता की सारी जमीन को क्यूबा के किसानों के नाम कर दिया।
सत्ता में आने के बाद उन्होंने क्यूबा की जनता को शत प्रतिशत शिक्षित और प्रशिक्षित किया, उसको रोजगार दिया, जमीन का राष्ट्रीयकरण किया, सबको स्वास्थ्य जरूरी किया, जातिवादी और नस्ली भेदभाव का खात्मा किया और धीरे-धीरे अन्याय, गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, शोषण, दमन, अत्याचार का जड़ से खात्मा किया और आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक आजादी और बराबरी को बहाल किया और समाज में क्रांतिकारी और समाजवादी चेतना का प्रचार-प्रसार और प्रवाह किया अपनी जनता को पूर्ण रूप से क्रांतिकारी और समाजवादी चेतना और मानसिकता से भरपूर किया।
वे प्रचार को क्रांतिकारी संघर्ष की असली आत्मा और चेतना समझते थे। उनका कहना था कि सच्चे और वास्तविक प्रचार प्रसार से ही असली क्रांति का कारवां आगे बढ़ता है, साम्राज्यवाद का तिलिस्म टूटता है और जनता क्रांति के पक्ष में एकजुट और असली क्रांतिकारी होती चली जाती है। उनका कहना था कि अत्याचार के खिलाफ बेखौफ होकर, विरोध करना हमारा मूलभूत अधिकार है। वे क्रांतिकारी संघर्ष में जनता की एकता की अहमियत को बहुत अच्छी तरह से समझते थे। उनका कहना था कि अच्छे लोग एक होकर, अजय शक्ति बन जाएंगे।अपने जीवन के शुरुआती दिनों में उन्होंने कहा था कि “अपने जीवन के आखिरी दिनों तक मैं मार्क्सवादी लेनिनवादी बना रहूंगा” और कमाल देखिए कि वे अपने जीवन के अंत तक सच्चे, अच्छे और असली मार्क्सवादी और लेनिनवादी ही बने रहे और उन्होंने मार्क्सवादी लेनिन वादी विचारों को पूरी तरह से धरती पर उतारा और इन महान और असली जनकल्याणकारी विचारों को पूरी तरह से मजबूती प्रदान की।
उनका मानना था कि “तमाम गरीबों, वंचितों और उत्पीड़ितों को असली न्याय, सशस्त्र क्रांति से ही मिल सकता है और हरेक क्रांतिकारी की जिम्मेदारी है कि वह क्रांति करे।” कमाल की बात आश्चर्यचकित देखिए कि फिदेल कास्त्रो सारी दुनिया के क्रांतिकारियों को अपना भाई समझते थे। वे आपसी एकजुटता और भाईचारे का वैश्वीकरण करना चाहते थे। उनका कहना था कि क्रांति कभी आयातित नहीं की जा सकती, इसका कभी निर्यात नहीं हो सकता है, और क्रांति हर एक देश की परिस्थितियों का परिणाम है। इनका कहना था कि शांतिपूर्ण तरीकों से क्रांति नहीं होती, हर एक क्रांतिकारी की जिम्मेदारी है कि वह क्रांति करे और क्रांतिकारी संघर्ष को आगे बढ़ाये।
उनका कहना था कि विचारों को कोई नहीं मार सकता। कास्त्रो सामाजिक न्याय के चैंपियन थे। वे अमेरिका को सबसे ज्यादा प्रतिक्रांतिकारी और क्रांति विरोधी समझते थे। उनका कहना था कि आजादी और क्रांति के दुश्मनों के लिए कोई आजादी नही। वे कहा करते थे कि “मैं इतिहास लिखना नही, बनाना चाहता था।” और वाकई में कमाल देखिए कि उन्होंने इतिहास बनाया और क्रांति का एक बेहतरीन इतिहास बना कर वे चले गए।
फिदेल कास्त्रो “क्रांति की निरंतरता” में विश्वास करते थे। उनका कहना था कि “क्रांति केवल संस्कृति और विचारों से ही हो सकती है, बिना संस्कृति और विचारों के कोई क्रांति नही हो सकती है और न सफल हो सकती है,और न कायम रह सकती है, क्रांति में निरंतरता बनी रहनी चाहिए।” यानी वे “सतत क्रांति” के समर्थक और वाहक थे। वे हमेशा जनता के नेता बने रहे। इसका कारण था कि वे हर मुसीबत, हर आफत, हर हरिकैन, हर जंग में, सबसे आगे ही बने रहे और मरते दम तक जनता का नेतृत्व करते रहे।
उनकी मजबूत मान्यता थी कि सीखना, जानना, पढना और बिना रुके लगातार अध्ययन करते रहना, हर क्रांतिकारी का कर्तव्य है। वे पूरी दुनिया के लिए न्याय चाहते थे और यही उनका वैश्विककरण था, यही उनका मिशन था। उनका मानना था कि साम्राज्यवादी लुटेरे वैश्वीकरण को, वैश्वीकृत संघर्ष और एकजुटता से ही हराया जा सकता है, कोई अकेला देश इस साम्राज्यवादी वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण को हरा नहीं सकता।
क्यूबा में आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा डॉक्टर्स और नर्सिंस हैं, उनका कहना और मानना था कि “मानवता, मातृभूमि से पहले आती है। हम मानवता की नीति को अपना होमलैंड समझते हैं।” उनका मानना था कि “हम निष्पक्ष और मानवीय वैश्वीकरण चाहते हैं, मैंने क्रांति के बीज बोए हैं, समाजवादी चेतना का विकास किया है।” उनका मानना था कि समाजवादी चेतना का विकास करना हमारा सबसे जरूरी काम है। वे कम करने के बजाय जोड़ना ज्यादा पसंद करते थें और जनता की एकता चाहते थे। उनके इन्हीं विचारों ने क्यूबा को आज तक एकजुटता, क्रांतिकारी और समाजवादी चेतना का वाहक बनाए रखा है।
फिदेल कास्त्रो सामाजिक न्याय के चैंपियन थे। वे अमेरिका को सबसे ज्यादा प्रतिक्रियावादी और क्रांति विरोधी देश मानते थे। अमेरिका फिदेल कास्त्रो से कितना डरता था, कितना भयभीत था, कि उसने क्यूबा के इस जनप्रिय और क्रांतिकारी नेता को सीआईए द्वारा 638 बार मारने की कोशिश की, मगर अपनी ईमानदारी और अपने क्रांतिकारी साथियों की जागरूकता की बदौलत, फिदेल कास्त्रो उनके हमलों से, उनकी साजिशों से बचते रहे और क्यूबा और दक्षिणी अमेरिका में क्रांति के सबसे बड़े मशाल वाहक बने रहे।
आज हमें फिदेल कास्त्रो के विचारों को जानने और उन्हें अपने जीवन में उतारने की सबसे ज्यादा जरूरत है उनका एक निरंतर अभियान चलाये रखने की जरूरत है और शोषण, अन्याय और जुल्म भरे इस देश और इस दुनिया के शोषणकारी और अन्यायी निजाम को बदलने की सबसे ज्यादा जरूरत है और फिदेल कास्त्रो हमारे सबसे ज्यादा काम आ सकते हैं। हमें उनसे यह भी जानने और सीखने की जरूरत है कि उन्होंने सत्ता का प्रयोग अपने लिए या अपने परिवार के लिए धन धान्य जुटाने, महल दुमहल बनाने के लिए और धन बटोरने के लिए नही, बल्कि जनता को अपना भाग्य विधाता बनाने और समाज में समता, समानता, भाईचारा, बराबरी, आजादी, जनता का जनतंत्र और गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद कायम करने के लिए किया है। ऐसे महान क्रांतिकारी और असली समाजवादी फिदेल कास्त्रो को शत शत नमन,वंदन और अभिनंदन। क्रांति जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद समाजवाद जिंदाबाद।

 
			 
			 
			