भावपूर्ण श्रद्धांजलि
जंग की भूख खत्म नहीं हो रही। युद्ध में हर वर्ष हजारों लोग मारे जा रहे हैं, देश तबाह हो रहे हैं, फिर भी मनुष्य समझने के लिए तैयार नहीं है। । ताज़ा मसला इज़राइल और ईरान के बीच छिड़ी जंग है। तेईस वर्षीय ईरानी कवि परनिया अब्बासी आज तेहरान के सत्तारखान इलाके में इजराइल के अवैध और अमानवीय हमले में परिवार सहित ( सभी असैनिक) शहीद हो गईं। प्रतिबिम्ब मीडिया की विनम्र श्रद्धांजलि। प्रस्तुत है उनकी एक कविता –
बुझा हुआ तारा
परनिया अब्बासी
मैं दोनों के लिए रोई
तुम्हारे लिए
और अपने लिए
मेरे आँसुओं के सितारों को
तुम अपने आसमान में
फूँक कर उड़ा देते हो
तुम्हारी दुनिया में
रौशनियों का खेला
मेरी दुनिया में
परछाइयों का मेला
कहीं न कहीं
मुझे ख़त्म हो जाना होता है
और तुम्हें भी
दुनिया की सबसे सुंदर कविता
गूंगी हो जाती है
कभी न कभी
तुम फिर कहीं
शुरू करते हो
जीवन की मद्धम सिसकी
मैं हजार जगहों पर
जलती हूं और
बुझ जाती हूं
मैं बन जाती हूँ
वही बुझा हुआ तारा
जो तुम्हारे आकाश में
धुआँ हो जाता है
———
परनिया अब्बासी
(2002-2025)
आशुतोष कुमार की फेसबुक वॉल से साभार