सर्वधर्म समभाव, सबका सम्मान हमारा स्वाभाविक धर्मः योगेंद्र यादव

सर्वधर्म समभाव, सबका सम्मान हमारा स्वाभाविक धर्मः योगेंद्र यादव

कुरुक्षेत्र में स्वधर्म पर हमला और प्रतिकार पर व्याख्यान आयोजित

कुरुक्षेत्र। स्वधर्म पर हमले का प्रतिकार स्वधर्म के द्वारा ही दिया जा सकता है। सर्वधर्म समभाव, विनय, बराबरी का भाव, सबका सम्मान हमारा स्वाभाविक धर्म है।

ये शब्द स्थानीय डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन में योगेन्द्र यादव ने भारत के स्वधर्म पर हमला और प्रतिकार विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा। वे सुरेन्द्र पाल सिंह के प्रथम स्मृति व्याख्यान को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। व्याख्यान की अध्यक्षता डॉ. रामेश्वर दास व सुरेन्द्र पाल सिंह की पत्नी गीता पाल ने की। कार्यक्रम का संचालन राम मोहन राय ने किया।
योगेन्द्र यादव ने कहा कि तीन हजार वर्षों के दौरान समाज द्वारा मूल्य अर्जित किए गए हैं। सबसे पहले बौद्ध और जैन दर्शन ने करुणा, मैत्री और विनय के मूल्यों को स्थापित किया। मध्यकाल में भक्ति एवं सूफी आंदोलन ने प्रभाव दिखाया।

सूफी आंदोलन ने रहमत, सुलहकुल एवं मसलाह को स्थापित किया। अंग्रेजी राज के खिलाफ आजादी के आंदोलन में समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र के मूल्य उभरे। आजादी के आंदोलन और संविधान में दर्ज ये मूल्य हमें विदेशी एवं आयातित मूल्य जरूर लगते हैं।

लेकिन समाजवाद करुणा व रहमत के विचार से निकला है। मैत्री और सुलहकुल से धर्मनिरपेक्षता का संबंध है और लोकतंत्र विनय और मसलाह के विचारों से मिलता है। उन्होंने कहा कि आज हमारी परंपरा पर एक आक्रामक और गैर सांस्कृतिक अनैतिक राजनीति का सीधा हमला हो रहा है।

उन्होंने कहा कि हमें धर्म, राष्ट्रवाद, लोकतंत्र व धर्मनिरेक्षता को भारतीय संदर्भों में समझना होगा, तभी हम वर्तमान साम्प्रदायिकता की आक्रामकता का मुकाबला कर सकते हैं।
डॉ. रामेश्वर दास ने अध्यक्षीय टिप्पणी की।

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साहित्यकार जयपाल ने आए अतिथियों का स्वागत किया। कुमार मुकेश ने सुरेन्द्र पाल सिंह के जीवन पर भावपूर्ण विचार व्यक्त किए। राजीव गोदारा ने मुख्य वक्ता योगेन्द्र यादव का परिचय दिया। गीता पाल ने आए अतिथियों का आभार ज्ञापन किया।

व्याख्यान के दौरान यूनिक प्रकाशन एवं गार्गी प्रकाशन द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई।

इस मौके पर डॉ. टीआर कुंडू, डॉ. अशोक भाटिया, विकास साल्याण, अरुण कैहरबा, राजेश कासनिया, कमलेश चौधरी, रानी वत्स, अनिल ख्यान अत्री, बृजेश कठिल, नरेश सैनी, हरपाल गाफिल, पवन आर्य, अनिल, मनीषा, डॉ. सुनील थुआ, डॉ. रमेश सहित प्रदेश भर के अनेक साहित्यकार मौजूद रहे।

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