हरियाणाः जूझते जुझारू लोग-40
सर्वकर्मचारी संघ बनने से पहले शिखर पर रहे आनंददेव सांगवान
सत्यपाल सिवाच
हिसार जिले के भेरां गांव (अब भिवानी में) दिनांक 7 जुलाई 1944 को श्री फूलसिंह और श्रीमती जीवनी देवी के यहाँ एक सपूत ने जन्म लिया। उसे आनंददेव नाम दिया गया। उन्होंने बड़ा होने पर अपने नाम को सार्थक किया और अपने परिवार में ही नहीं, समाज के लिए भी आनंद का स्रोत बने रहे। वे कर्मचारी आन्दोलन में फेडरेशन के साथ प्रारंभिक दौर में ही जुड़ गए थे। परिवार में उनकी पत्नी विद्या देवी, एक बेटा और एक बेटी हैं। लगभग 79 वर्ष की आयु में 11 दिसंबर 2023 को किसानों के धरने पर अचानक हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।
आनंद देव शिक्षा प्राप्ति के बाद सेना में भर्ती हो गए थे। वे सन् 1965 की भारत-पाक लड़ाई में शामिल रहे। इस जंग में वे बुरी तरह जख्मी हो गए और पेट में 17 टांके लगे थे। उन्हें युद्ध मेडल से भी सम्मानित किया गया था। चोट के कारण उन्हें आर्मी से सेवानिवृत्ति मिल गई। इसके बाद कुछ समय तक ग्रामीण बैंक में लगे। उसे छोड़कर एक प्राइवेट स्कूल में टीचर लग गये। थोड़े ही अरसे के बाद उन्हें पीडब्ल्यूडी बी.एंड आर. में लिपिक पद पर स्थायी नौकरी मिल गई। वे 31 अगस्त 2002 को सुपरिटेंडेंट पद से सेवानिवृत्त हुए।
आनंद देव सेवा में आते ही हरियाणा सबआर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन के नेतृत्व के संपर्क में आ गए थे। हिसार में तैनात मंगल सिंह दिलावरी उन दिनों काफी सक्रिय रहे। अध्यापक नेता सोहनलाल भी उन दिनों सक्रिय रहे। जनवरी और फरवरी 1968 की सफल हड़तालों ने अनेक युवा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया था। उनमें आनंद देव भी शामिल रहे थे। वे पहले स्थानीय स्तर पर और फिर जिला स्तर पर नेता बन गए। वे सन् 1973-74 के आन्दोलन के दौर में जाने-पहचाने कार्यकर्ताओं में शामिल हो गए थे। सन् 1974 में ही वे फेडरेशन में राज्य स्तर पर पदाधिकारी बन गये थे।
आपातकाल के बाद 1978 में हुए चुनाव उन्हें हरियाणा सबआर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन का अध्यक्ष चुन लिया गया। मंगल सिंह दिलावरी महासचिव बनाए गए। सन् 1980 में हुए चुनाव में फेडरेशन में गतिरोध पैदा हो गया और एक धड़े ने मास्टर शेरसिंह को अध्यक्ष और कुलदीप ढाण्डा को महासचिव बनाया। आनंद देव इसी गुट के साथ रहे। दूसरे में एम.एल. सहगल और दिलावरी क्रमशः अध्यक्ष व महासचिव बने।
आनंददेव से मेरी पहली मुलाकात आर्य हायर सेकेंडरी स्कूल पानीपत में फेडरेशन की एक राज्य स्तरीय बैठक में हुई थी। उसमें पंजाब के समय के प्रख्यात् नेता और वर्षों तक राजस्व एवं कानूनगो एसोसिएशन के निर्विवाद नेता रहे धुरेन्द्र सिंह चौहान को भी विशेष रूप से बुलाया गया था। हरफूल सिंह भट्टी व कुलदीप सिंह ढाण्डा आदि से भी पहली मुलाकात इसी बैठक में हुई थी।
इसके बाद आनंद देव मुख्य पद पर तो नहीं आए लेकिन लगातार सक्रिय रहे और सर्वकर्मचारी संघ के गठन होने के बाद हिसार के स्तर पर सक्रिय रहे। अपनी सेवानिवृत्ति तक बिना किसी पद के भी वे बिश्नोई, भूपसिंह बेनीवाल, बादल, मास्टर बलवंत सिंह बूरा, बलजीत सिंह भ्याण आदि नेताओं के साथ सक्रिय रहे। सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वे हिसार में होने वाले सभी नागरिक और सामाजिक आयोजनों में शामिल होते रहे। पिछले कुछ सालों से वे अखिल भारतीय किसान सभा में लगातार सक्रिय थे।(सौजन्य: ओम सिंह अशफ़ाक)

लेखकः सत्यपाल सिवाच
