कविता
नया शहर
अपूर्वा दीक्षित
ये शहर अभी नया नया है,
लोग अनजान हैं,
तुम्हें लगेंगे अपने लेकिन हैं नहीं!
नींद नहीं आएगी कई रातों तक,
बिस्तर नर्म है,
तुम्हें लगेगा घर वाले बिस्तर से भी अच्छा,
लेकिन है नहीं!
ये गलियाँ रौशनी से भरी हैं,
पर तुम्हें यहाँ अंधेरा महसूस होगा,
हर चेहरा मुस्कुराता दिखेगा,
पर अपनापन कहीं अपने शहर जैसा मिलेगा नहीं!
कॉफ़ी की खुशबू लुभाएगी,
मगर घर की चाय जैसा स्वाद नहीं,
भीड़ बहुत मिलेगी,
लेकिन अकेलापन कभी साथ छोड़ेगा नहीं!
रफ़्तार तो मिल जाएगी इस शहर में,
लेकिन कोई तुम्हारे लिए ठहरेगा नहीं,
ये शहर अभी नया नया है,
पुराने शहर जैसा सुकून यहां मिलेगा नहीं!
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अपूर्वा दीक्षित नवोदित कवयित्री हैं। विज्ञान की छात्रा हैं। इनकी कविताओं में अभी अनगढ़पन है। समाज को लेकर सोचती हैं, यही सोच इनकी कविता में झलकती है। कविता लेखन में कई पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं। इनका खुद का वक्तव्य है-विज्ञान की गहनता और साहित्य की संवेदनाओं के बीच संतुलन साधना मुझे प्रिय है। कविताओं के प्रति मेरा लगाव मुझे शब्दों के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।संपादक