पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने का सिलसिला शुरू होने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट
न्यायमित्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी, कहा- दोनों राज्यों से जवाब तलब किया जाए
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है, जिससे दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता और खराब हो रही है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ बुधवार को वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता और मामले में न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने मंगलवार को पीठ से आग्रह किया कि पंजाब और हरियाणा सरकारों से जवाब-तलब किया जाए।
सिंह ने अपनी दलील के समर्थन में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रह चित्रों का हवाला दिया, जिनके मुताबिक, इन दोनों राज्यों में पराली जलाना शुरू हो गया है और यह दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण के स्तर में योगदान दे रहा है।

सिंह ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इन राज्यों को वर्तमान स्थिति पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम बुधवार को कुछ आदेश पारित करेंगे।’’
इससे पहले तीन नवंबर को शीर्ष अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक हलफनामा के जरिये दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का विवरण देने का निर्देश दिया था।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन में भी शामिल है।
पीठ ‘एम सी मेहता’ मामले की सुनवाई कर रही है और उसने कहा था कि प्राधिकारियों को सक्रियता से काम करना चाहिए और प्रदूषण के स्तर के ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
न्यायमित्र ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत को बताया कि दिवाली के दौरान दिल्ली में कई वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र काम नहीं कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘एक के बाद एक अखबार कह रहे हैं कि निगरानी केंद्र काम नहीं कर रहे हैं। अगर निगरानी केंद्र काम ही नहीं कर रहे हैं, तो हमें यह भी नहीं पता कि जीआरएपी (क्रमवार प्रतिक्रिया कार्य योजना) कब लागू की जाए… दिवाली के दिन 37 निगरानी केंद्रों में से केवल नौ ही लगातार काम कर रहे थे।’’
न्यायमित्र ने पीठ से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि सीएक्यूएम स्पष्ट आंकड़े और कार्य योजना प्रस्तुत करे।
उन्होंने कहा कि पहले के आदेशों में प्रदूषण के कारण स्थिति बिगड़ने पर प्रतिक्रियात्मक कदम उठाने के बजाय पूर्व-निवारक उपाय करने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘सीएक्यूएम को एक हलफनामा देकर बताना होगा कि प्रदूषण को गंभीर स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए वह क्या कदम उठाने जा रहा है।’’
