एआई सामग्री पर नियंत्रण करना सरकार का मकसद नहीं, पारदर्शिता जरूरी
आईटी सचिव ने पत्रकारों से दी सफाई
नयी दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि कृत्रिम मेधा (एआई) के जरिये बनाई गई या संशोधित सामग्री पर स्पष्ट लेबल लगाना अनिवार्य करने के पीछे उसका मकसद ऑनलाइन सामग्री को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (मेइटी) सचिव एस कृष्णन ने एआई-निर्मित सामग्री पर अपने मंत्रालय की तरफ से जारी प्रस्तावों के मसौदे के बारे में यह बात कही।
कृष्णन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हम केवल यह चाहते हैं कि सामग्री पर स्पष्ट निशान हो कि यह एआई द्वारा निर्मित है या नहीं। हम नहीं कह रहे कि इसे पोस्ट न करें या इस पर रोक लगानी है। आप बस बता दें कि सामग्री कृत्रिम ढंग से बनी है। इससे उपयोगकर्ता तय कर सकते हैं कि वह सामग्री उनके लिए उपयुक्त है या नहीं।”
सरकार ने आईटी नियमों में संशोधन के प्रस्ताव के मसौदे में कहा है कि 50 लाख या अधिक उपयोगकर्ताओं वाले बड़े सोशल मीडिया मंचों (फेसबुक और यूट्यूब) को भी एआई सामग्री की सत्यता जांचने और उचित तकनीकी उपायों से इसे चिन्हित करने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
इन नियमों में एआई-निर्मित सामग्री का निशान लगाना, दृश्यता और मेटाडेटा एम्बेडिंग जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं ताकि एआई एवं कृत्रिम ढंग से बनी सामग्री को वास्तविक मीडिया से अलग पहचाना जा सके।
कृष्णन ने कहा, ‘‘कृत्रिम सामग्री में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर संसाधन या सॉफ्टवेयर को ऐसी सुविधा देनी होगी कि सामग्री पर स्पष्ट और हटाए न जा सकने वाला निशान लगाया जा सके। कानूनी कार्रवाई केवल अवैध सामग्री पर ही लागू होगी और यह नियम केवल एआई सामग्री तक सीमित न होकर सभी अवैध सामग्रियों पर लागू होगा।’’
उन्होंने अगले महीने राजधानी में होने वाले ईएसटीआईसी-2025 सम्मेलन के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की ताकत वैश्विक स्तर पर एआई समाधान का निर्माण और तैनाती करने की उसकी क्षमता में निहित है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य के लिए प्रौद्योगिकी और एआई का व्यापक उपयोग जरूरी है। कृषि, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में एआई के सही उपयोग से सेवा की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ सकती है।
उन्होंने सभी वर्गों के लोगों के लिए समान और समावेशी प्रौद्योगिकी पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी बल दिया।
