मुनेश त्यागी की कविता- आज के असली रावण

कविता-

आज के असली रावण

मुनेश त्यागी

 

दंगे

झूठ

छल

हिंसा।

कपट

दहेज

हत्याएं

महंगाई।

मक्कारी

भ्रष्टाचार

प्रांतीयता

जातिवाद।

हैवानियत

शैतानियत

बेरोजगारी

आतंकवाद।

अलगाववाद

मुनाफाखोरी

दुल्हन- दहेज

आपसी हिंसा।

भाषाई विवाद

लुटेरी संस्कृति

साम्प्रदायिकता

अवैज्ञानिक सोच।

पारस्परिक हिंसा

व्यापार बनी शिक्षा

लाइलाज  खुदगर्जी

खून पीता पूंजीवाद।

लगातार बढ़ता अन्याय

आदमी को लीलती धर्मांधता

असामाजिक बनाता अलगावाद

दुनिया का सबसे बडा आतंकवाद,,,

लुटेरा और युद्धोन्मादी साम्राज्यवाद।

मैं मैं मैं मैं मैं, मैं मैं मैं मैं, मैं मैं मैं मैं मैं,

मैं मैं मैं मैं, मैं मैं मैं मैं, मैं मैं मैं, मैं मैं मैं मैं।

मेरा मेरी मेरे, मेरा मेरी मेरे, मेरा मेरी मेरे,

मेरा मेरी मेरे, मेरा मेरी मेरे, मेरा मेरी मेरे।

आओ हम सब शामिल हों इन सारे के सारे

रावणों के विनाश के संगठित अभियानों में।